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जिसके नाम में ही 'दुर्गा' और 'शक्ति' है ...

साहस व दबंगता की प्रतिमूर्ति : दुर्गा शक्ति नागपाल

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हमें फॉलो करें दुर्गा शक्ति नागपाल

स्मृति आदित्य

इस देश में बहुत सारी महिलाएं ऐसी हैं जिनका नाम दुर्गा और शक्ति है लेकिन जरूरी नहीं कि वह दैवीय साहस की प्रतिमूर्ति भी हो। लेकिन यह भी सच है कि इसी देश की एक नारी ऐसी है जिसका नाम दुर्गा है, और जिसके साथ शक्ति भी जुड़ा है और वह साहस व दबंगता की प्रतिमूर्ति भी है।

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उत्तरप्रदेश की सपा सरकार ने पिछले शनिवार 2009 बैच की आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित कर दिया। दुर्गा शक्ति नागपाल को अपना काम ईमानदारी और कर्मठता से करने की यह सजा मिली है।

दुर्गा शक्ति नागपाल कुछ समय से अवै‍ध निर्माण और रेत खनन माफियाओं के लिए सिरदर्द बनी हुई थीं। उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाने के बाद स्थिति यहां तक पहुंची कि उन्हें निलंबन की कड़वाहट से गुजरना पड़ा।

सपा सरकार की इस मामले में सफाई है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई एक धार्मिक स्थल की दीवार को गिराने का आदेश देने की वजह से की गई है। जबकि दुर्गा को जानने वाले कहते हैं कि पिछले दिनों उन्होंने(दुर्गा शक्ति नागपाल ने) बेहद गंभीरतापूर्वक रेत खनन माफियाओं के खिलाफ कदम उठाए हैं।

सपा सरकार मौके की तलाश में ही थी कि उन्हें कैसे दरकिनार किया जाए क्योंकि जगजाहिर है कि अखिलेश यादव और उनकी टीम के लोगों के माफियाओं से गहरे ताल्लुकात हैं।

बताया जाता है कि पिछले शनिवार को नागपाल ने ग्रेटर नोयडा में अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाई जा रही मस्जिद की दीवार को तोड़ने का आदेश दिया था।

अखिलेश यादव सरकार का कहना है कि नागपाल ने रमजान के पवित्र महीने में समस्या पैदा वाला फरमान जारी किया इसलिए सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए हमें यह फैसला लेना पड़ा।



दुर्गा ने फिछले दिनों यमुना नदी से रेत से भरी 300 ट्रॉलियों और 24 डंपरों को जब्त किया। यमुना और हिंडन नदियों में रेत खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिए विशेष उड़न दस्तों का गठन किया। उन्हें लगातार धमकियां भी मिल रही थी।

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आईएएस ऑफिसर दुर्गा की पोस्टिंग 6 महीने ही हुए हैं कि प्रदेश सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया।

सवाल यह उठता है कि एक तरफ तो भ्रष्टाचार के तमाम मामले इस देश की समस्या बने हैं दूसरी तरफ राजनीतिक दबावों के तहत एक ईमानदार अधिकारी अपने निर्णय नहीं ले सकती? हम भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने का सपना संजोए कभी लोकपाल की मांग करते हैं और कभी आला अधिकारियों को ही कटघरे में खड़ा करते हैं लेकिन जो भ्रष्टाचार राजनेताओं के हाथ के नीचे से बहकर निकलता है और ईमानदार लोगों को बहा ले जाता है उन पर हम एक स्वर से आवाज क्यों नहीं उठा पाते?

सवाल यहां अधिकारी के महिला या पुरुष होने का नहीं है, सवाल ‍हिन्दू या मुस्लिम तुष्टिकरण का भी नहीं है बल्कि सवाल है बेईमानी और ईमानदारी के बीच बरसों से जारी जंग का।

आखिर कब तक राजनीति ऐसे घृणित लोगों की पनाहगार बनी रहेगी? और जब तक बनी रहेगी तब तक तो किसी उम्मीद की रोशनी के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।

लेकिन दुर्गा शक्ति जैसी अधिकारी उन तमाम अधिकारियों के लिए प्रेरक हो सकती हैं जो राजनीतिक दबावों से प्रतिदिन जूझती हैं।

अगर हर प्रदेश से (9) नौ दुर्गा भी प्रकट हो गई तो राजनीति और अपराध के असुरों का अंत सुनिश्चित है। दुर्गा के लिए हमारी देवी दुर्गा से प्रार्थना है कि वह अपनी समस्त असीम दैवीय ऊर्जा के साथ 'दुर्गा' की शक्ति बनें।

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