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ब्लॉग की दुनिया भी हुई कृष्णमय

जन्माष्टमी पर लिखी गई ब्लॉग पोस्टों की चर्चा

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रवींद्र व्यास

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माहौल कृष्णमय हो चुका है। जन्माष्टमी की तैयारियाँ हो चुकी हैं। मंदिर सज चुके हैं। कृष्ण भगवान को श्रृंगार के लिए जरी और गोटे वाली पोशाकें से श्रृंगारित किया जा चुका है। पालने लग चुके हैं। पालनों को फूलों से सजाया जा चुका है। कृष्ण की लीला का बखान करते गीत-संगीत से माहौल भक्तिमय हो चुका है। मंहगाई और मंदी के दौर के बीच भी किसी वार-त्योहार पर बाजारों में चहल-पहल बताती है कि लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है और भक्ति की धारा कतई भी क्षीण नहीं हुई है। वार-त्योहार पर हमारी यह उत्सवधर्मिता भी है तो कृष्ण के प्रति अगाध श्रद्धा और भक्ति की अभिव्यक्ति भी है।

इसमें कोई दो मत नहीं कि कृष्ण की लीलाएँ इतनी मनमोहक, मार्गदर्शक और आध्यात्मिक हैं कि कवियों-भक्तों से लेकर गीतकारों और चित्रकारों, विचारकों-दार्शनिकों से लेकर प्रवचनकारों और व्याख्याकारों तक, कीर्तनकारों से लेकर भजन मंडलियों तक कृष्ण के प्रति एक मनमोहक और सम्मोहक भाव है। वे कई तरह से और कई रूपों में इन्हें लुभाते हैं और मन के अंतरतम कोनों में इस तरह असर करते हैं कि बरबस कंठ फूट पड़ते हैं, रंग बहने लगते हैं और हृदय गाने लगता है और मस्तक अपने आप ही इस नतमस्तक हो जाता है। वे तो इतने मोहक हैं कि लोग मृदंग, झाँझ-मंजीरे लेकर नाचने-गाने लगते हैं और एकबारगी इस लोक को भूलकर किसी दूसरे ही लोक में पहुँचने का अनुभव प्राप्त करते हैं। जाहिर है ब्लॉग की दुनिया भी कृष्णयम हो गई है।

उच्चारण ब्लॉग पर ब्लॉगर डॉ. रूपचंद्र शास्त्री ने एक सुंदर भावमय कविता पोस्ट की है। कविता का शीर्षक है तो मिलने श्याम आएँगे। वे लिखते हैं-
स्वयं मिट जाएगी दूरी, अगर कामना हो सच्ची।
मिलेगी प्यार की नेमत, अगर है भावना सच्ची॥
अगर तुलसी-सी भक्ति है तो मिलेंगे राम आपको।
जो है मीरा-सी आसक्ति तो मिलने श्याम आएँगे

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जाहिर है यह एक भावपूर्ण कविता है और दर्शन के प्यासे भक्तों के लिए मीरा-सी आसक्ति की बात कही गई है। इसी तरह भारत दर्शन ब्लॉग पर अल्पना ने इम्फाल के एक बहुत पुराने राधा-गोविंद मंदिर की जानकारी दी है। यह मंदिर 1846 में एक तत्कालीन राजा ने बनवाया था । इसमें राधा-गोविंद की सुंदर मूर्ति है। इसके साथ ही जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा की भी मूर्तियाँ लगी हैं।

यह मंदिर कांगला किले के परिसर में बना है और एक बार भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त हो चुका है। यहाँ राधा-गोविंद को आप मणिपुरी पोशाकों में श्रृंगारित देख सकते हैं। इसी के साथ अल्पनाजी यह भी जानकारी देती हैं कि यहाँ मंदिर के एक ओर रासमंडल है जहाँ रासलीला प्रस्तुत की जाती है। लड़के-लड़कियाँ थाबल चंग्बा लोकनृत्य भी करते हैं। इस मंदिर के दो सुंदर और भव्य गुम्बद हैं एक बड़ा घंटा। ब्लॉग पर इस मंदिर के कुछ रंगीन फोटो भी लगाए गए हैं।

निर्भय जैन ने अपने ब्लॉग पर सच बोलन मना है में जन्माष्टमी पर सच बोला है। यहाँ उन्होंने एक प्यारी सी कविता लगाई है-
मचो गोकुल में है त्योहार, भयो नंदलाल
खुशियाँ छाई हैं अपरंपार भयो नंदलाल
देख के उसकी सारी सखियाँ
कितनो सुंदर है मदन गोपाल।

इसी तरह एक अन्य ब्लॉग उसका सच पर ब्लॉगर ने भी कविता लगाई है और शीर्षक दिया है-मुरलीवाले का सच। इस कविता में श्रीकृष्ण के माखन चोर कर खाने का वर्णन है और माँ यशोदा जब पूछती है कि तुमने माखन खाया तो भोलेपन से उनका झूठ बोलने का दृष्टांत है। इसमें कृष्ण कहते हैं कि मैय्या मैं ने माखन नहीं खाया, मैं तो गायों को चराने चला गया था। चारों पहर बाँसुरी के साथ जंगल में भटकता रहा। मैंने माखन नहीं खाया है।

यह कविता पढ़कर सूरदास के कई भक्तिपदों का स्मरण हो आता है जिसमें उन्होंने कृष्ण के बाल रूपों का अद्भुत और अद्वितीय वर्णन किया है। फिर कुछ ब्लॉगों पर आप जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण के कुछ रूपों का दर्शन तो कर ही सकते हैं।
http//uchcharan.blogspot.com
http//bharatparytan.blogspot.com
http//janokti.blogspot.com
http//uskasach.blogspot.com

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