यूरोपीय देश भी पृथकतावाद से पीड़ित
, गुरुवार, 8 अगस्त 2013 (18:52 IST)
दो दशक पूर्व बर्लिन दीवार का पतन जर्मनी के विभाजन का ही नहीं, यूरोप में 45 वर्षों से चल रहे शीतयुद्ध' का भी अंत था। यूरोपीय संघ के झंडे तले सभी देशों को मिलाकर एक 'साझे यूरोपीय घर के सुनहले सपने संजोए जाने लगे थे। तब से एकीकृत जर्मनी तो फल-फूल रहा है, पर यूरोप के पहले से ही एकीकृत कई देश इस बीच या तो विभाजित हो गए हैं या विभाजन के कगार पर पहुंच गए हैं।जर्मनी का पुन:एकीकरण कभी संभव नहीं हो पाया होता यदि दो दशक पूर्व तत्कालीन सोवियत संघ इस के लिए राजी नहीं हुआ होता है। सबसे बड़ी विडंबना तो यही रही कि जर्मनी का एकीकरण होते ही सोवियत संघ टूटकर बिखर गया। आज उस की जगह 15 नए देशों ने ले ली है। जर्मनी का एकीकरण ऐसा अपशगुन साबित हुआ कि उस समय के चेकोस्लोवाकिया और युगोस्लाविया का भी अस्तित्व नहीं रहा। चेक गणराज्य और स्लोवाकिया पूर्व चेकोस्लोवाकिया के नए उत्तराधिकारी हैं, जबकि छोटे-से यूगोस्लाविया को जर्मनी की अगुआई में नाटो देशों ने मिलकर ऐसा तोड़ा कि उस की जगह पर अब तक 7 नए देश बन चुके हैं। विडंबना यह भी है कि अब बारी पश्चिमी यूरोप के उन देशों के टूटने की है, जो नाटो और यूरोपीय संघ दोनों के सदस्य हैं और अन्य देशों में पृथकतावाद को पोषित करते रहे हैं। अपनी संपन्नता पर इतराने और भारत जैसे बहुजातीय देशों को राष्ट्र-राज्य (एक देश में एक ही कौम की राज्यसत्ता) का उपदेश देने वाले ये देश अब अपने ही टूटने की नौबत आती देखकर सन्नाटे में आ गए हैं। सबसे बड़ा कमाल तो यह है कि उनके जो प्रदेश उद्भव, बोल-भाषा और रहन-सहन पर आधारित जातीय परिभाषा की आड़ लेकर उन से टूटकर अलग होना चाहते हैं, वे बाद में यूरोपीय संघ की छत्रछाया में उन्हीं की बगल में बैठना भी चाहते हैं। जानकारों का कहना है कि अगले कुछ दशकों में यूरोप में 10 नए स्वतंत्र देश जन्म ले सकते हैं। शुरुआत हो चुकी है। गत सितंबर और अक्टूबर 2012 में केवल 3 ही सप्ताहों के भीतर पश्चिम यूरोप के तीन प्रमुख देशों- स्पेन, बेल्जियम और ब्रिटेन के चार प्रदेशों ने स्पष्ट कर दिया कि वे अलग देश बनने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। इटली और फ्रांस के पृथकतावादी भी अंगड़ाई लेने लगे हैं। आखिर क्यों?
स्पेन में बढ़ता असंतोष....
स्पेन : लगभग 5 लाख 5 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल और पौने 5 करोड़ जनसंख्या वाला देश स्पेन 17 स्वायत्तशासी क्षेत्रों व प्रदेशों वाला एक संसदीय राजतंत्र है। देश के उत्तर में स्थित उस के दो प्रदेश बास्कलैंड और कतालोनिया लंबे समय से स्वतंत्रता पाने के लिए कसमसा रहे हैं।उग्र राष्ट्रवादी बास्क संगठना 'एता' (ETA) तो 1959 से ही स्पेन से अलग होने के लिए सशस्त्र संघर्ष कर रहा था। 2011 में हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपनी घोषणा तक 'एता' लगभग 4 हजार आतंकवादी हमलों और बमबाजियों में 830 प्राणों की बलि ले चुका था। 22
लाख की जनसंख्या वाला बास्कलैंड स्पेन का सबसे प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है। 66 अरब यूरो के बराबर उसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 31,288 यूरो प्रति व्यक्ति बैठता है, जो स्पेनी प्रदेशों के बीच सबसे अधिक है। उदाहरण के लिए भारत में यह अनुपात एक हजार यूरो प्रति व्यक्ति के करीब है।अपनी भाषायिक व सांस्कृतिक भिन्नताओं तथा स्पेन का सबसे संपन्न प्रदेश होने के नाते बास्क पृथकतावादियों का समझना है कि वे एक स्वतंत्र देश होने पर और अधिक प्रगति कर सकते हैं।बास्कलैंड की तरह ही कतालोनिया भी स्पेन का एक सबसे खुशहाल प्रदेश है। वहां के 75 लाख निवासी 200 अरब यूरो के बराबर सकल घरेलू उत्पाद पैदा करते हैं, जो प्रति व्यक्ति 27,430 यूरो बैठता है। वहां के राष्ट्रवादी भी लंबे समय से अलग देश बनने का अहिंसक आंदोलन चलाते रहे हैं और हर 11 सितंबर को राष्ट्रीय दिवस मनाते हैं। गत 11 सितंबर 2012 के दिन राजधानी बार्सिलोना में 6 लाख से अधिक लोगों ने कतालोनिया, यूरोप का नया देश वाले बैनरों के साथ प्रदर्शन किया।राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि स्पेन के इन दोनों सबसे खुशहाल प्रदेशों में स्वाधीनता की कसमसाहट इसलिए उग्र होने लगी है, क्योंकि यूरो मुद्रा वाले देशों में यूनान के बाद स्पेन ही दीवालिया होने के सबसे अधिक निकट है। वहां की केंद्र सरकार को जो भारी कटौतियां करनी पड़ रही हैं, उनका भार खुशहाल प्रदेशों पर ही सबसे अधिक पड़ रहा है। स्पष्ट है कि वे अपनी खुशहाली देश के गरीब प्रदेशों के साथ नहीं बांटना चाहते।उदाहरण के लिए कतालोनिया को शिकायत है कि उसने केंद्र सरकार द्वारा थोपी गई सारी कटौतियों को अब तक शिरोधार्य किया और अब स्वयं 44 अरब यूरो के ऋणभार से दब गया है। वहां 25 नवंबर 2012 को विधानसभा के लिए मध्यावधि चुनाव हुए।अपने आत्मविसर्जन से पहले वहां की विधानसभा ने भारी बहुमत से तय किया कि चुनावों के बाद स्वतंत्र देश बनाने के लिए विधिवत जनमत संग्रह कराया जाएगा। प्रदेश के सरकार प्रमुख आर्तुर मास का कहना था कि स्पेन का संविधान कुछ भी कहे, वे चार साल के भीतर जनमत संग्रह कराकर रहेंगे।उनकी सरकार द्वारा कराए गए एक मत सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश की 74 प्रतिशत जनता कतालानिया की स्वतंत्रता के पक्ष में है। दूसरी ओर बास्कलैंड में गत 20 अक्टूबर 2012 को हुए प्रादेशिक चुनावों से पृथकतावादियों के हाथ और भी मजबूत हुए हैं। एक नया वामपंथी गठबंधन ओएस्काल ऐरिया बिल्दू' (EHB) पहली ही बार में 21 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रहा। इस गठबंधन को अतीत में उग्रवादी रहे 'एता' का नया राजनीतिक चेहरा माना जाता है।बास्क राष्ट्रवादी पार्टी PNV और EHB को मिलाकर बास्क प्रदेश की विधानसभा में पृथकतावादियों के पास अब दो-तिहाई सीटों का अपूर्व बहुमत हो गया है। उल्लेखनीय है कि स्पेन कोई संघराज्य नहीं है और न ही उस के संविधान में देश से अलग होने संबंधी कोई प्रावधान है।
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