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नेहरू-एडविना 'अफेयर' की हकीकत?

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हिंदुस्तान टाइम्स में पिछले सप्ताह अभिषेक साहा ने लिखा कि जवाहरलाल नेहरू को लेकर कैसे 'झूठ' या 'अज्ञात सच' फैलाए जा रहे हैं। इस लेख के बारे में कांग्रेस नेता शशि थरूर का ट्वीट था कि यह 'नेहरू के बारे में सच' को लेकर सच्चाई थी। 
 
इसी तरह हाल ही में नेहरू के विकीपीडिया पेज को एडिट किए जाने के दौरान असत्यापित और अपमानजनक सूचनाओं को इंटरनेट पर सक्रिय पाया। ऐसा कहा जा रहा है कि नेहरू इलाहाबाद के एक रेड लाइट एरिया में जन्मे थे और उनके दादा गंगाधर नेहरू एक मुस्लिम थे।
 
इसके तुरंत बाद 'इंडिया बिगेस्ट कवर-अप' के लेखक और पत्रकार अनुज धर ने एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने मेरे लेख में लिखे तर्कों का खंडन किया। धर एक पत्रकार-कार्यकर्ता हैं जिन्होंने नेताजी सुभाष बोस के जीवन पर विस्तृत शोध किया है। हाल ही में, उन्होंने नेताजी से संबंधित गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक करवाने में प्रमुख भूमिका निभाई। धर की प्रमुख असहमति उस बात को लेकर है जो कि दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर मृदुला मुखर्जी ने लेखक को बताई थी।
 
मुखर्जी ने उनसे कहा था कि नेहरू को लेकर जितनी भी गंभीर जीवनियां हैं, उनमें से ज्यादातर में नेहरू के ‍एडविना माउंटबैटन और पद्‍मजा नायडू के साथ रिश्तों का उल्लेख किया गया है। ज्यादातर किताबों में इस संबंध को प्लेटोनिक (निष्काम या अशरीरी) बताया गया है। लेकिन अगर ये रिश्ते प्लेटोनिक नहीं थे तो उससे क्या फर्क पड़ता है? ये सभी लोग एक दूसरे की सहमति से चलने वाले वयस्क लोग थे। क्या नेहरू अपनी बहुत समय पहले मर चुकी पत्नी को धोखा ‍दे रहे थे? नहीं। क्या इससे उनकी सरकार चलाने की क्षमता प्रभावित हुई थी? नहीं।
 
मैंने अपने लेख में षड़यंत्र के सिद्धांत पर जोर देते हुए कहा था कि एक षड़यंत्र के तहत नेहरू की छवि को खराब किया जा रहा है और उन्हें एक ऐसा 'प्लेबॉय' (रसिक) बताया गया जिसके कई महिलाओं जैसे सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू और देश के अंतिम ब्रिटिश वाइसरॉय लॉर्ड माउंटबैटन की पत्नी एडविना माउंटबैटन के साथ संबंध थे। धर ने इंग्लैंड से लाए गए कुछ सार्वजनिक दस्तावेजों के आधार कहा कि नेहरू और एडविना के बीच कुछ न कुछ चल रहा था और इसके कारण कुछेक मामले में शासन प्रभावित हुआ था, लेकिन मैं उनके तर्क पर्याप्त अकाट्‍य नहीं मानता हूं।
 
जब मैंने धर के लेख को फेसबुक वाल पर साझा किया तो यूनिवर्सिटी ऑफ ओकलाहोमा में अंग्रेजी विभाग में एक सहायक प्रोफेसर अमित राहुल बैश्य ने टिप्पणी की, 'मैंने उनके उत्तर को पढ़ा। मुझे ऐसा लगा कि उन्होंने आपके 'कोर आइडिया' (मूलभूत विचार) को लेकर बात शुरू की लेकिन यह आगे नहीं जा सका। लेकिन अगर उनका वास्तविक सारांश मृदुला मुखर्जी के उद्धरण के बाद शुरू होता है तो क्या वह इस बात को अस्वीकार कर रहे हैं कि (1) रिश्ता प्लेटॉनिक नहीं था और (2) यह शासन में आड़े आया।  

उन्होंने आगे यह भी कहा कि किसी भी तरीके जो प्रमाण उपलब्ध कराए गए हैं वे हमें 1 या 2 की स्थितियों का विश्वास नहीं दिलाते हैं। ऐसा लगता है कि यह तर्क करने की कभी-हां, कभी-ना की शैली है जिसमें आपसे कहा जाता है कि बमुश्किल दिखने वाले बिंदुओं को जोड़ने का काम करें।'
 
धर के लेख पर स्तम्भकार शंकर रे ने मुझे लिखा, 'एडविना की बेटी का कहना है कि रिश्ता प्लेटॉनिक था। धर ने जो दस्तावेज दिखाए हैं वे सभी अनुमान पर आधारित हैं जिनमें कोई ठोस प्रमाण नहीं है। यह झूठ और निंदात्मक है।'
 
जिस पहले दस्तावेज का धर उल्लेख करते हैं और जिसे 'फाइल नं पीआरइएम 11 /340 बताया गया है, वह लंदन में नेशनल आर्काइव्स, क्यू पर शोधकर्ताओं के लिए रखी है। वास्तव में इसका कोई महत्व नहीं है। इसमें केवल इतना कहा गया है कि नेहरू के एक करीबी राजनयिक को शक है कि ब्रिटिश प्रभाव के कारण भारतीय राजनेता को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिल सका है। हालांकि उन्होंने इस फाइल की तस्वीर छापी है लेकिन धर ने इस दस्तावेज के बारे में कोई अन्य जानकारी नहीं दी है।  
           
दूसरा, धर एक पत्र का उल्लेख करते हैं जिसमें महारानी एलिजाबेथ के निजी सचिव को प्रधानमंत्री विंस्टल चर्चिल को यह बताते कहा गया है कि समय आ गया है जब महारानी के एक मंत्री द्वारा एडविना को समझा दिया जाना चाहिए कि भारतीय राजधानी के उनके दौरों से राष्ट्रमंडल के सामान्य हितों का कोई भला नहीं होगा। अगले ही पैराग्राफ में धर इस बात पर जोर देते हैं कि पत्र में कहा गया है कि एडविना माउंटबैटन फिर एक बार नई दिल्ली में एक राजनीतिक झड़प में शामिल हो गई हैं, इसे वे 'ब्रिटिश बुद्धि चातुर्य' कहते हैं।
 
धर के लेख- 'स्कर्मिश इज द ब्रिटिश विट फॉर एक अफेयर?' पर एक ऑनलाइन कार्यकर्ता प्रतीक सिन्हा ने मुझसे पूछा, 'क्या यह बहुत अधिक वाग्विस्तार है, क्या ऐसा नहीं है? इसके बाद धर उल्लेख करते हैं कि 'वर्ष 1953 में एलिजाबेथ के राज्यारोहण से पहले एक महल की औपचारिक पार्टी में एडविना नेहरू के साथ आई थीं, अपने पति के साथ नहीं। सुंदर लॉर्ड लुइस माउंटबैटन के बारे में कहा जाता था कि उनके आकर्षण से प्रभावित होकर एक गिद्ध भी शव खाना छोड़ देता था' और यह कि प्लेबॉय पत्रिका ने नेहरू का एक इंटरव्यू छापा था। इस बारे में नेहरू के एडविना के रिश्ते को लेकर किस आधार पर कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है। विशेष रूप से उस आधार पर जो बात प्रोफेसर मुखर्जी ने कही थी।
 
अपने तर्क के पक्ष में धर का अंतिम 'प्रमाण' वह दस्तावेज है जिसमें वे कहते हैं ‍कि यह उनकी बगल में खड़े नेहरू द्वारा उकसाने पर एडविना ने उपनिवेश मंत्री ओलिवर लिटलटन को केन्या में अत्याचार की कुछ घटनाओं को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी। इस मामले में भी एक न्यूज वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन के लेखक शोएब दानियाल ने मुझे लिखकर पूछा, सवाल यह है कि ' केन्या में हिंसा को लेकर एडविना ने एक ब्रिटिश अधिकारी से सवाल जवाब किए और चूंकि उसी कमरे में नेहरू भी मौजूद थे, लिहाजा दोनों के बीच संबंध था (क्या बेवकूफी है)।'

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