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अखिलेश यादव ने अनिरुद्धाचार्य से क्यों कहा कि आज से कभी किसी को शूद्र न कहना?

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WD Feature Desk

, सोमवार, 14 जुलाई 2025 (13:22 IST)
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ दिखाई दे रहे हैं। सपा समर्थक इस वीडियो को जमकर साझा कर रहे हैं। यह वीडियो उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिवाद की आग में और घी डालने वाला सिद्ध होगा। वीडियो में अखिलेश यादव कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से यह कहते हुए सुनाई देते हैं कि 'आज के बाद किसी को शूद्र मत कहना'। आखिर अखिलेश यादव ने ऐसा क्यों कहा?
 
दरअसल, अखिलेश यादव ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से अचानक से बीच हुई एक मुलाकात में पूछ लिया कि आधी रात लेकर के जब उन्हें दिया मां के हाथ में तब पहला नाम मां ने क्या बोला? 
 
अनिरुद्धाचार्य जी इस सवाल पर कुछ देर रुके और कहा कि भगवान के सभी नाम है कन्हैया कहकर बुलाया।... इसके बाद अनिरुद्धाचार्य बोलना चाहते थे कि आप बताइये क्या बोला, लेकिन अखिलेश यादव ने यह सुनकर कहा कि बधाई हो आपको बस यही हमारा और आपका रास्ता अलग अलग हो गया। इसलिए शूद्र मत कहना कभी।.... इस पर अनिरुद्धाचार्य कुछ बोलना चाहते थे लेकिन अखिलेश यादव ने कहा कि देखिये जानकारी कर लेना। इसके बाद दोनों अपने अपने रास्ते निकल गए।
 
दरअसल यह वीडियो करीब डेढ़ साल पुराना बताया जा रहा है जबकि अखिलेश यादव की अनिरुद्धाचार्य जी से आगरा एक्सप्रेस वे पर मुलाकात हुई थी। वर्तमान में एक बार यह वीडियो फिर से वायरल किया जा रहा है। यह उस वक्त का वीडियो है जबकि उस समय शूद्र पालिटिक्स जोरों पर थी। उनके एक नेता स्वामी राम प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर दिये बनाया पर भयंकर हंगामा मचा हुआ था।
दोनों के जवाब का विश्लेषण:
पहली बात यह कि अखिलेश जी का कहना था कि आधी रात को जब श्रीकृष्ण को वसुदेव जी ने ले जाकर मां यशोदा के हाथ में दिया तो पहली बार बार मां यशोदा ने उन्हें क्या कह कर पुकारा? 
 
इसका जवाब यह है कि वसुदेव जी ने आधी रात को ले जाकर श्रीकृष्‍ण को माता यशोदा के हाथ में नहीं दिया था। माता यशोदा तो गहरी नींद में सो रही थी। उन्होंने माता यशोदा के पास श्रीकृष्‍ण को सुलाकर यशोदा की बेटी को लेकर चले गए थे। बाद में जब माता यशोदा की नींद खुली को सभी ने कहा कि नंद के यहां लाल हुओ है। ऐसा कहा जाता है कि माता यशोदा ने उन्हें सबसे पहले लल्ला कहकर ही पुकारा होगा। बाद में जब तक उनका नामकरण नहीं हुआ तब तक नंदलाल कहा जाता था। फिर उनका नाम कन्हैया रखा गया।

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