इसलिए रास आता है भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया...
आजकल अनेक भारतीय परिवार ऑस्ट्रेलिया आकर बस गए हैं। हर साल हजारों की संख्या में भारतीय छात्र यहाँ शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं। पीआर यानी स्थाई निवास पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और यहीं बस जाना चाहते हैं।
जहाँ पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया की रंगभेद नीति और भारतीय छात्रों के साथ हुई हिंसा और बुरे बर्ताव के कारण काफी निंदा हुई है, वहीं ऑस्ट्रेलिया में नागरिकता लेने के इच्छुक भारतीयों की संख्या बढ़ी है। तो क्या कारण हैं इसके? यहाँ का साफ़-सुथरा रहन-सहन, शिक्षा सुविधाएँ या पैसा कमाने की आसानी? प्रश्न ये भी हैं कि कैसे हैं ऑस्ट्रेलियावासी? क्या वे वाकई में भारतीयों के खिलाफ पक्षपात करते हैं? या यह सिर्फ अफवाह है?ऑस्ट्रेलिया अनेक देशों से आकर बसे हुए लोगों का देश है। ऑस्ट्रेलिया के प्रथम निवासी थे एबोरीजनल और टोरेस स्ट्रेट आयलैंडर्स, जो यहाँ अनुमानतः 40 हजार से साथ हजार वर्ष पहले आकर बस गए थे। ऑस्ट्रेलिया में पहले यूरोपियन यहाँ आए, तब से अब तक 50 से भी अधिक देशों के लोग यहाँ बस चुके हैं।मुख्य रूप से यूके निवासी, इटालियन, न्यूजीलैंडर, चीनी, वियतनामी, भारतीय, फिलीपीनी, ग्रीक, दक्षिण अफ्रीका के लोग, लेबनानी, मलेशियन आदि लोग हैं। इसके अलावा पाकिस्तानी, श्रीलंकन, फिजीयन, हांगकांग, सर्बिया, इंडोनेशिया, अमेरिका और पोलैंड आदि अनेक देशों के लोग भी हैं। यहाँ की संस्कृति बहुसांस्कृतिक है। अनेक समुदाय के लोगों के आ जाने से जीवनशैली में विविधता है। हर देश का खाना उपलब्ध है। पूजा के स्थलों और प्रार्थना कक्षों में जाने की अनुमति है।ऑस्ट्रेलिया में सरकारी प्राथमिक पाठशालाओं में ईसाई धर्म के साथ अन्य धर्मों जैसे हिन्दू धर्म और इस्लाम की कक्षाओं की भी सुविधा है। क्रिसमस, ईस्टर के अलावा रमजान, ईद, दिवाली, चाइनीज न्यू ईयर पर भी रौनक रहती है। अब तो इफ्तार और दिवाली की दावतें संसद भवन में भी होने लगी हैं। हर व्यक्ति को अपना त्योहार मनाने की छूट है। यहाँ विभेदीकरण को लेकर सख्त नियम बने हुए हैं। नौकरी में या कार्यस्थल में किसी तरह का पक्षपात होने की संभावना कम ही है, अगर हो रहा है तो शिकायत की जा सकती है।
ऑस्ट्रेलिया एक अलग-थलग-सा देश जरूर है, पर यहाँ की 'क्वालिटी ऑफ लाइफ' अच्छी है। यदि व्यक्ति प्रतिभाशाली हो तो उसे आगे बढ़ने के पूरे अवसर मिलते हैं
यहाँ के लोग अधिकतर खुशमिजाज और मिलनसार हैं। उनकी बातों में एक गुदगुदाने वाला हास्य है। कभी अपने ऊपर ही कुछ ऐसे कमेंट कर देना कि लोग हँसे बिना नहीं रह पाते। यहाँ के टीवी कार्यक्रम तो प्रधानमंत्री और वरिष्ठ नेताओं पर भी छींटाकशी करने से बाज नहीं आते। सुबह के अधिकतर रेडियो कार्यक्रम हास्य का पुट लिए होते हैं। अधिकतर लोग खुश रहते हैं और आराम की जिंदगी बिताना पसंद करते हैं।परिवार के साथ ‘बार्बी’ यानी बार-बी-क्यू पार्टी करना या समुद्र तट पर चले जाना या फुटबॉल यानी फुटी खेलना और देखना यहाँ के लोगों को पसंद है। यहाँ लोग सफाई का काफी ख्याल रखते हैं। अपने घर के अधिकतर काम वे खुद करना पसंद करते हैं।यहाँ के लोग ट्रेन, बस आदि में अधिकतर चुप रहते हैं। कोई न कोई किताब पढ़ते रहना उन्हें पसंद है। लोग एक-दूसरे की ओर सरसरी निगाह से भले देख लें, परंतु किसी को घूरना या ऊपर से नीचे तक देखते रहना अशिष्टता माना जाता है। यहाँ के लोगों का कपड़े पहनने का ढंग यूरोप की अपेक्षा कम फैशनेबल है। सामान्यतः गर्मियों में चप्पल, शर्ट और निकर में इन्हें देखा जा सकता है और सर्दियों में अधिकतर लोग जम्पर और ट्रेक पैन्ट्स में दिखते हैं। कार्यस्थल के कार्यस्थल के कपड़े अन्य देशों की तरह ही हैं। लड़कियों या स्त्रियों का कम कपड़े पहनना उनकी जीवनशैली का हिस्सा है, न कि उनका शरीर प्रदर्शन। यहाँ हर समुदाय के लोगों को एक हंसी का नाम दे दिया गया है, जो सामने नहीं बोला जाता, पर यह उनकी पहचान के आधार पर है। भारतीय लोगों को 'करीमंचर्स' यानी सब्जी खाने वाला कहा जाता है।सच तो यह है कि भारतीय मसालों की महक से वे दूर से पहचाने जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया में अधिकतर भारतीय 'करीकार' यानी 'टोयोटा कैमरी' खरीदना चाहते हैं। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय लोगों की छवि अच्छी है, उन्हें मेहनती माना जाता है। यहाँ कॉफी लोकप्रिय है। लोग कॉफी के साथ मफिन खाना पसंद करते हैं। बीयर, वाइन और अन्य अल्कोहलिक पेय पदार्थ भी लोग शौक से पीते हैं। चीनी, थाई, इटालियन भोजन के अलावा फिश और हॉट चिप्स शौक से खाए जाते हैं। टोस्ट पर 'वेजीमाइट' (यहाँ की विशेष चटनी) लगाकर खाना लोग पसंद करते हैं। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया एक अलग-थलग-सा देश जरूर है, पर यहाँ की 'क्वालिटी ऑफ लाइफ' अच्छी है। यदि व्यक्ति प्रतिभाशाली हो तो उसे आगे बढ़ने के पूरे अवसर मिलते हैं। (लेखिका मूलत: हरियाणा की रहने वाली हैं तथा विगत 12 वर्षों से ऑस्ट्रेलिया में रह रही हैं। उनके आलेख और कविताएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं)