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महानायकों के विरोधाभास

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हमें फॉलो करें महानायकों के विरोधाभास

राजेश पांडेय

असाधारण प्रतिभा संपन्न लोगों के व्यक्तित्व में भी विसंगतियों का अंधेरा दिखाई देता है। उनकी जीवनशैली विरोधाभासों का आईना होती है। वे फिर भी अपने क्षेत्र के नायक होते हैं। बिल क्लिंटन, शेन वार्न, संजय दत्त या नवजोतसिंह सिद्धू जैसी शख्सियतों के उजले पक्ष लोगों की स्मृतियों में बसे हैं। उनके व्यक्तित्व पर लगा ग्रहण लोगों की नजरों से ओझल हो जाता है।

जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियाँ हासिल करने वाले लोगों का व्यक्तित्व आम लोगों के एक बहुत बड़े हिस्से को हमेशा आकर्षित करता है। वे जनता के लिए प्रेरणा के स्रोत बनते हैं। लोग उनके नक्शे कदम पर चलने की कोशिश करते हैं। खासतौर से युवा अपने महानायक जैसा बनने का सपना देखते हैं, लेकिन इस आकर्षण का एक स्याह पहलू भी है। राजनीति, कला, खेल, फिल्म, व्यवसाय-उद्योग सहित अन्य क्षेत्रों में करिश्मा दिखाने वाले व्यक्तियों के जीवन का दूसरा हिस्सा भी होता है। उनका व्यक्तित्व किसी कोण पर बदरंग नजर आता है। नेतृत्व क्षमता, प्रतिभा, कौशल सरीखे गुणों के मामले में वे हिमालयी शिखरों को छूते हैं तो मानवीय कमजोरियाँ उनके करिश्मे को धुंधला करती हैं।

अभी हाल में कई नामी हस्तियाँ अच्छे और खराब कारणों से खबरों के घेरे में रही हैं। ऑस्ट्रेलिया के महानतम लैग स्पिनर शेन वार्न, फिल्म अभिनेता संजय दत्त और पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी नवजोतसिंह सिद्धू के व्यक्तित्वों पर गौर करने से हमें विरोधाभासी प्रवृत्तियाँ दिखाई पड़ती हैं। इनमें से शेन वार्न अपने क्षेत्र के महानायक हैं। टेस्ट मैचों में 699 विकेट ले चुके वार्न अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के राजयश से संन्यास के बियाबान में जाने का ऐलान कर चुके हैं। उनके व्यक्तित्व के सुनहरे और स्याह रंग दुनिया के सामने हैं। उनकी असीम प्रतिभा और जूझने की क्षमता, उनके प्रति प्रशंसा का भाव पैदा करती है। उधर, मैदान के बाहर उनके काले-पीले कारनामे मन में वितृष्णा भी जगाते हैं।

बेशक क्रिकेट इतिहास में वार्न के समान चमत्कारिक स्पिन गेंदबाज कोई दूसरा नहीं हुआ है। वे रिस्ट स्पिनर हैं। कलाई के जरिए गेंद को घुमाने की कला में बेमिसाल हैं। उनकी गेंदों का जादू धुरंधर बल्लेबाजों को हैरत में डाल देता है। वैसे, स्पिन खेलने में माहिर भारतीय बल्लेबाजों के सामने उनका रिकॉर्ड कमजोर रहा है। महारथी सचिन तेंडुलकर का कहर ढाता बल्ला उन्हें सपने में दिखाई देता था। क्रिकेट में तेज गेंदबाजों के अखंड साम्राज्य को वार्न ने ही चुनौती दी है। यहाँ फिर भारतीयों का जिक्र आता है। बेदी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर और वेंकटराघवन की सफलता किसी मायने में तेज गेंदबाजों से कम नहीं है, इन चारों गेंदबाजों ने टेस्ट क्रिकेट में 700 से अधिक विकेट लिए थे। बहरहाल, वार्न ने स्पिन गेंदबाजी को बेचैन करने वाली आक्रामकता की शक्ल देने का प्रयास किया है।

वार्न प्रतिद्वंद्वी बल्लेबाज के खिलाफ जिस आक्रामक अंदाज में अपील करते हैं, वह शांत और गंभीर माने जाने वाले स्पिन गेंदबाजों की पहचान के खिलाफ है। इस ऑस्ट्रेलियाई स्पिन गेंदबाज के क्षितिज पर आने से पहले सिर्फ तेज गेंदबाज बल्लेबाज को धमकाने, गाली-गलौज औरउलटे-सीधे इशारे करने के लिए कुख्यात थे। वार्न ने अपने लड़ाकू तेवरों के साथ यह बीमारी स्पिनरों को भी लगा दी है। शायद, यह वार्न का असर है कि अपने हरभजनसिंह बेट्समैन को आउट करने के बाद बेहद आक्रामक ढंग से चीख-पुकार मचाते हैं। पाकिस्तानी सकलेन मुश्ताक भी ऐसा करते थे। वार्न, बल्लेबाज पर वाणी से प्रहार का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।

क्रिकेट के मैदान में अति आक्रामकता के लिए विवादों को जन्म देने वाले वार्न की जीवन शैली मैदान से बाहर काफी चर्चित रही है। उनके पास अपार धन है। फिर भी, वे मैच की जानकारी देने के लिए सट्टेबाज से धन लेने के लोभ पर काबू नहीं पा सके। वे धूम्रपान के खिलाफ विज्ञापन करते थे और जमकर सिगरेट के कश खींचते थे। विवाहेतर यौन संबंधों ने उनके और पत्नी सिमोन के रिश्तों में दरार डाल दी है। हालाँकि वे अब इस दरार को पाटने की कोशिश में जुटे हैं। शक्ति बढ़ाने वाले स्टेरायड का सेवन करते पकड़े जाने पर उन्हें विश्वकप 2003 से बाहर होना पड़ा था।

जाहिर है, शेन वार्न हजारों युवाओं के लिए रोल मॉडल होंगे। सवाल है नौजवान उनके व्यक्तित्व के किस पहलू से प्रेरणा लेते होंगे। निश्चित रूप से खेल मैदान पर वार्न का जौहर लोगों को उनके प्रति आकर्षित करता होगा। उनकी विस्मयकारी गेंदबाजी ने उन्हें महानायक बनाया है। उनके प्रशंसकों ने उनकी जो प्रतिमा गढ़ी है, उसमें बेईमानी, अय्याशी और उद्दंडता की कालिमा नहीं होगी। कुछ ऐसा ही संजय दत्त, नवजोत सिद्धू के मामले में हो सकता है। मुंबई बम कांड के संबंध में अवैध हथियार रखने के दोषी पाए गए संजू बाबा को उनके प्रशंसक सिर आँखों पर रखते हैं। इस अपराध की छाया ने उनकी लोकप्रियता पर ग्रहण नहीं लगाया है। मुन्नाभाई की झलक पाने के लिए लोग पहले की तरह लालायित रहते हैं। गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी सिद्धू का नया रूप लोगों के दिल-दिमाग पर अधिक छाया हुआ है। वे अपने जमाने में आक्रामक ओपनिंग बैट्समैन थे। सिद्धू की दूसरी पारी एक राजनेता और लच्छेदार, दिलचस्प शैली में डायलाग झाड़ने वाले टेलीविजन एनाउंसर की है। सिद्धू की लोकप्रियता भी कोर्ट के फैसले से अप्रभावित जान पड़ती है। उनके प्रशंसक उनकी हाजिर जवाबी और बोलने के अंदाज के कायल हैं।

वार्न, संजय दत्त, सिद्धू के उदाहरण ताजा हैं। कई राजनीतिक हस्तियों का व्यक्तित्व विरोधाभासों की बुनियाद पर टिका है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की जीवन शैली पर गौर कीजिए। वे पचास साल से कम आयु में दो बार अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं। मोनिका लेविंस्की से रिश्तों को लेकर क्लिंटन को भारी बदनामी उठाना पड़ी थी। उनका आचरण एक महादेश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति की गरिमा के खिलाफ था। इसके बावजूद उनके अतीत की विकृत तस्वीर विस्मृति के अंधेरे में गुम हो गई- लगती है। क्लिंटन अमेरिका तोक्या दुनिया के कई देशों में लोकप्रिय हैं। भारत में भी उन्हें हाथों-हाथ लिया जाता है।

भारत सहित कई देशों में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे नेता लोकप्रियता की लहर पर सवार होकर राजसिंहासन पर आसीन होते हैं। कई तानाशाह अपनी जनता के विशाल वर्ग के बीच लोकप्रिय रहे हैं। लिहाजा, लोगों की पसंद-नापसंद को किसी दायरे में नहीं बाँधा जा सकता है, पर इतना तय है, आम जनता और प्रशंसक अपने हीरो के सद्गुणों की कायल होती है। नायक के व्यक्तित्व की विकृतियाँ कम ही लोगों को सम्मोहित कर पाती हैं। मसलन, लोग क्रिकेट की गेंद को घुमाने वाले शेन वार्न, रूपहले पर्दे पर स्वाभाविक अभिनय करने वाले संजय दत्त और लॉफ्टर चैंपियन में हँसी के ठहाके बिखेरने वाले नवजोत सिद्धू को पसंद करेंगे। उन्हें अपने नायक के खंडित और विरोधाभासी व्यक्तिव से कुछ लेना-देना नहीं होता है।

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