हमारे संविधान में प्रत्येक भारतीय को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। यही कारण है कि भारतीय मीडिया अपने अधिकार क्षेत्र में सशक्त और उत्तरदायी मीडिया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व से अब तक भारतीय मीडिया ने भारत निर्माण में महत्वपूर्ण व निष्पक्ष भूमिका निभाई है।
मगर जब से बाजारवाद का उदय हुआ तब से भारतीय पत्रकारिता में काफी उतर-चढ़ाव देखने में आए हैं। यहां तक कि भारतीय पत्रकारिता की अस्मिता पर भी सवाल उठे। ये सवाल उसकी नैतिकता, स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर हावी होते रहे हैं।
भारतीय मीडिया ने जरूर सामाजिक व आर्थिक कुरीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाई है और उसने देश में व्याप्त गरीबी, भुखमरी व भ्रष्टाचार के खिलाफ भी काफी हद तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो उसकी सराहनीय उपलब्धि भी रही है। मगर आधुनिक पत्रकारिता पर यदि हम नजर डालें तो पाएंगे कि वर्तमान समय में इसका स्वरूप ही बदल गया है। इस पर उठते सवाल सही साबित हुए हैं।