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सोशल बदलाव के लिए सोशल मीडिया

श्री श्री रवि शंकर

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आर्ट ऑफ लिविंग

, गुरुवार, 13 जून 2013 (11:47 IST)
ART OF LIVING
मीडिया हमेशा से समाज का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। मीडिया सिर्फ घटनाओं को ही रिपोर्ट नहीं करता, बल्कि वह जनता की सोच भी बनाता है। इससे लोकतंत्र में मीडिया की एक बड़ी शक्तिशाली भूमिका हो जाती है, और जहाँ शक्ति है वहाँ उस सत्ता के दुरुपयोग की भी संभावना रहती है।

कहा जाता है कि कुछ देशों के शक्तिशाली मीडिया हाउज़ेस ने कुछ लोगों और घटनाओं को विशेष तरीके से निरूपित करके चुनाव परिणाम को भी प्रभावित किया है। कुछ समय पहले भारत में भी मीडिया के प्रमुख लोगों और कुछ नेताओं के बीच एक कनेक्शन सामने आया था

सोशल मीडिया (SM) के उभरने के साथ मीडिया जगत में बहुत बदलाव आया है। SM के साथ जनता की आँख और कान हर जगह पर रहने लगी है। वे कुछ टीवी चैनलों के कैमरा टीम तक सीमित नहीं हैं। SM एक ऐसा मंच है जहाँ जनता की खरी राय सामने आती है और जिसे आसानी से मरोड़ा नहीं जा सकता है। यह समाज की नब्ज को दर्शाता है। यहां तक कि पारंपरिक मीडिया चैनल भी एस।एम। में चल रहे ट्रेंड्स पर नज़र रखते हैं।

हाल ही में हमने देखा है कि कई हेडलाइनें SM से उत्पन्न हुईं। सामाजिक रूप से प्रासंगिक और महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने के अलावा SM ने सरकार और जनता के बीच की दूरी का भी खुलासा किया है। लोगों को पता है कि नेता क्या कर रहे हैं और उनको प्रभावित करने वाले कानून और नीतियों के बनने पर आपस में वे टिप्पणियाँ शेयर करते हैं। वे दिन गए जब सरकार बंद दरवाजों के पीछे कानून पारित कर लेते थे और महीनों तक वह सार्वजनिक नहीं होता था। SM के बदौलत राजनीतिक मुद्दों और प्रभावों पर तत्काल व्यापक चर्चाएं होती हैं।

अपने को पनपाने के लिए राजनेता समुदायों को अलग रखकर और एक के हितों को दूसरे के ऊपर रख कर अपने वोट बैंक सुरक्षित कर लेते हैं। जैसे जैसे SM के साथ लोगों के बीच सीमाएँ धुंधली हो रही हैं, वे अधिक जागरूक हो रहे हैं और उनको बेहतर सूचनाएँ मिल रही हैं और अब यह करना इतना आसान नहीं रहेगा। भाषण या बयान देने में आज राजनेताओं को अधिक सावधान रहना होगा। किसी छुपे मकसद के साथ किये गए दिखावे को लोग पहचान लेते हैं और संकीर्ण मानसिकता के किसी भी संकेत को कड़ी आलोचना मिलती हैं। सोशल मीडिया के भारतीय समाज पर प्रभाव, आगे....

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लोगों को साथ जोड़ने की इस क्षमता की वजह से SM सामाजिक बदलाव लाने का एक बहुत महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है। हमने हाल ही में SM के माध्यम द्वारा आयोजित कई सफल आंदोलन देखें हैं जिनका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

भारत के विशाल और विविध अप्रयुक्त मानव संसाधन को प्रभावी ढंग से उपयोग करने में भी SM का योगदान हो सकता है। उदाहरण के लिए वॉलंटीयर फॉर बेटर इण्डिया के अंतर्गत किसी दिन एक इलाके में चिकित्सा शिविर के घोषणा होते ही दूसरे भी उसमें शामिल हो जाते हैं। इसी तरह किसी वृक्षारोपण या सफाई अभियान की घोषणा के साथ और लोग अपना समय या संसाधन देकर उस पहल के साथ जुड़ जाते हैं।

स्पष्ट रूप से हम परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। भारत युवाओं का राष्ट्र है जो कि इस परिवर्तन में एक बड़ी भूमिका निभाएँगे। SM एक माध्यम है जो उन्हें जोड़ता है और उन्हें एक आवाज देता है। इस आवाज का ज़ोर बढ़ रहा है। यह एक शुभ संकेत है।

अधिक जानकारी के लिये क्लिक करें आर्ट ऑफ लिविंग


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