भारतीय समाजसेवक ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि, जानें विशेष जानकारी
, गुरुवार, 28 नवंबर 2024 (10:10 IST)
Jyotiba Phule : आज, 28 नवंबर को महात्मा ज्योतिबा फुले या ज्योतिराव गोविंदराव फुले की 134वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। वे एक महान क्रांतिकारी कार्यकर्ता, भारतीय लेखक एवं समाजसेवी थे। वे जीवन भर समाज सेवा में जुटे रहे। आइए जानते हैं उनके बारे में-
HIGHLIGHTS
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ज्योतिबा राव फुले की 134वीं पुण्यतिथि।
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महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय जानें।
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समाज सुधार के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि आज।
ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय : भारतीय समाजसेवक ज्योतिबा फुले का जन्म पुणे में 11 अप्रैल 1827 को हुआ था। पिता का नाम गोविंदराव तथा माता का नाम चिमणाबाई था। कई पीढ़ियों पहले उनका परिवार माली का काम करता था तथा वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे, इसलिए उनकी पीढ़ी 'फुले' के नाम से जानी जाती थी। ज्योतिबा फुले बहुत बुद्धिमान थे तथा उन्होंने मराठी भाषा में अध्ययन किया था। सन् 1840 में उनका विवाह सावित्रीबाई से हुआ था।
ज्योतिबा फुले के उल्लेखनीय कार्य : वे कहते थे कि जाति का भेदभाव एक अमानवीय प्रथा है। ज्योतिबा ने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा पर जोर दिया तथा छूआछूत प्रथा खत्म का काम आरंभ किया। उस जमाने में स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग बहुत उदासीन थे, अत: ऐसे समय में ज्योतिबा ने समाज को कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। ज्योतिबा के कई प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे, जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त करने का कार्य किया था।
दलितों लड़कियों के लिए खोला था भारत का पहला विद्यालय : उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला। अत: लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय ज्योतिबा को ही दिया जाता है। उन दिनों महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था। तब जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्वरवाद को अमल में लाने के लिए प्रार्थना समाज की स्थापना की गई थी, उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी। प्रार्थना समाज के प्रमुख गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे।
ज्योतिबा फुले का निधन और सम्मान : उन्होंने किसान और मजदूरों के हकों के लिए भी संगठित प्रयास किया था तथा सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत, और आजादी की लड़ाई में उनके संबल बनने का श्रेय भी ज्योतिबा को ही जाता है। उन्होंने अपने जीवन काल में देश से छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने के लिए कई अहम कार्य किए थे। ज्योतिराव गोविंदराव फुले को सन् 1888 में 'महात्मा' की उपाधि दी गई। ऐसे भारत के जाने-माने महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक रहे ज्योतिबा फुले का निधन 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुआ था। आज इस खास अवसर पर कई स्थानों पर प्रतियोगिताओं का शुभारंभ तथा समाज सेवियों को सम्मानित किया जाता है।
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