- विनोद अग्निहोत्री
दिल्ली, राजस्थान और मिजोरम में जीत के बावजूद कांग्रेस को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ न जीत पाने का बेहद गम है। केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि कमजोर संगठन, नेताओं में तालमेल की कमी और कई जगह बागियों और बसपा ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस को चुनाव हरवाया।
एक विशेष बातचीत में सिब्बल ने कहा मध्यप्रदेश में हमारा संगठन कमजोर था, उसमें कमी रह गई थी और वह लोगों में भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी गुस्से को मजबूती से नहीं उठा पाया और इसे राजनीतिक नतीजे में बदला नहीं जा सका।
यह बात आज की नहीं पिछले तीन चार साल से मध्यप्रदेश में पहले लंबे समय तक कमेटियाँ ही नहीं बनी, फिर बनी तो इतनी बड़ी बनी कि उन्हें संभालना मुश्किल था। मुझे लगता है कि यह सबसे बड़ी कमजोरी थी और यही हमारे लिए बड़ा सबक भी है।
हाँलाकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच मत प्रतिशत का फर्क कम हुआ है, लेकिन हम सीटें नहीं जीत पाए। इसलिए उम्मीद है कि लोकसभा चुनावों में नतीजे भिन्न होंगे, लेकिन अभी से हमें संगठन को दुरुस्त करना पड़ेगा।
सिब्बल कहते हैं कि मध्यप्रदेश में विकास का मुद्दा और भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा मुद्दा था। खुद मुख्यमंत्री के खिलाफ डंपर घोटाले का आरोप है, एक मंत्री को छापे के बाद हटाया गया, लेकिन कांग्रेस इसे मजबूती से उठा नहीं पाई। संगठन में जो तालमेल होना चाहिए था वह भी नहीं था, इसलिए हम जीता जिताया हुआ प्रदेश हार गए।
सिब्बल कहते हैं कि छत्तीसगढ़ का चुनाव भी बेहद जटिल है। पहले तो हमें यह मानना पड़ेगा की वहां मुख्यमंत्री रमनसिंह की छवि अच्छी है। फिर वहाँ नक्सलवाद का मुद्दा बहुत बड़ा है, लेकिन हम सरकार के खिलाफ उसे भी नहीं उठा पाए। हमें इतना संतोष जरूर है कि हमारी सीटें घटी नहीं बल्कि कुछ बढ़ी हैं।
जबकि राजस्थान में इसके उलट हुआ। वहाँ वसुंधरा सरकार के खिलाफ बिजली पानी जैसे जनता के बुनियादी मुद्दे उठाने में कांग्रेस कामयाब रही। वसुंधरा की सोशल इंजीनियरिंग भी विफल रही। फिर वह सीईओ की तरह सरकार चला रही थीं, जिसकी वजह से राजस्थान में भाजपा में बहुत झगड़े थे, इतने झगड़े मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में नहीं थे।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस टिकटों के बँटवारे और नेताओं के झगड़े के बारे में कपिल सिब्बल सिर्फ इशारों में यही कहते हैं कि नेताओं मेंजो तालमेल होना चाहिए था,वह नहीं था। वह कहते हैं कि कोई गलती तो हुई होगी वरना हम जरूर जीतते।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में हार के लिए जवाबदेही तय करने के बारे में सिब्बल का कहना है कि जवाबदेही सिर्फ नैतिक होती है और प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने इस्तीफे की पेशकश भी की है।
सिब्बल के मुताबिक इन चुनाव नतीजों से लोकसभा चुनावों के लिए सबक है कि पार्टी संगठन मजबूत किया जाए, नेताओं मेंज्यादा से ज्यादा तालमेल हो और अच्छे उम्मीदवारों को टिकट दिया जाए।