नई दिल्ली। दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी? कांग्रेस दोबारा सत्ता में लौटेगी अथवा भाजपा हुकूमत चलाएगी। कुर्सी बचेगी या जाएगी। इन सारे सवालों को लेकर दिल्ली की अफसरशाही में जबरदस्त बेचैनी है। कांग्रेसी नेताओं की नजदीकी का फायदा उठाकर मलाईदार पदों पर मौज उड़ा रहे अफसरों को यह डर बेहद सता रहा है कि यदि खासमखास नेता चुनाव नहीं जीत सके, तो उन्हें परेशानी उठानी पड़ सकती है। हालांकि तेज-तर्रार माने जाने वाले अधिकारी दोनों ओर संपर्क बनाए हुए हैं। लेकिन कुछ लोगों की अपनी खास सेटिंग होती है। उसी सेटिंग के चलते उनकी इच्छा है कि उनका वही बंदा सत्ता में लौट आए तो दिक्कत कैसी।
ज्यादातर अधिकारियों की राय है कि कांग्रेस वापस में लौट रही है। लेकिन इनमें रसूखदार पदों पर तैनात लोगों की संख्या ज्यादा है। इन्हें उम्मीद है कि यदि शीला दीक्षित की अगुवाई वाली सरकार वापस सत्ता में लौटती है, तो उनकी कुर्सी सलामत रहेगी। बातचीत के क्रम में इन अधिकारियों ने कहा कि कांग्रेस की वापसी की संभावनाएं ज्यादा हैं। हालांकि कुछ अधिकारी भाजपा की सत्ता में आने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
खास बात यह है कि इन अधिकारियों को चुनाव परिणाम जानने की बेचैनी, उन नेताओं से भी ज्यादा है जो खुद चुनाव मैदान में थे। दिल्ली सचिवालय में फाइलों की उलटफेर जारी है। एक आला अधिकारी ने कहा कि अभी कोई बड़ा नीतिगत फैसला भले नहीं लिया जा सकता हो लेकिन रोजमर्रा के काम तो चलते ही रहते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य चुनावों की तरह इस बार अलग-अलग टेलीविजन चैनलों ने एग्जिट पोल नहीं दिखाया। केवल एक चैनल ने दिखाया, उसके परिणाम भी स्पष्ट नहीं मालूम पड़े। इसलिए मतदाताओं की अंतिम समय तक खामोशी को देखते हुए सारे नेता कुछ कयास नहीं लगा पा रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सच तो यह है कि राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के मद्देनजर नई सरकार का जल्दी से जल्दी गठन होना जरूरी है। कई महत्वपूर्ण फाइलें रुकी पड़ी हैं जिन पर नई सरकार ही फैसला ले सकती है।
भाजपा ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि यदि वह सत्ता में आई, तो 100 दिन के भीतर बीआरटी कॉरिडोर के वर्तमान स्वरूप को निरस्त करेगी। इसी प्रकार भाजपा के सीएम इन वेटिंग प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने कह रखा है कि सत्ता संभालते ही उनकी पहली प्राथमिकता संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु की फांसी से संबंधित फाइल पर जल्द से जल्द कार्रवाई करना होगा।
दिल्ली सरकार के अधिकारियों में यही चर्चा जारी है कि किसकी सरकार बनने की उम्मीद ज्यादा है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सत्ता बदलने की सूरत में किसकी कुर्सी जाएगी और कौन मजे उड़ाएगा। बहरहाल, इनमें से ज्यादातर अधिकारियों को उम्मीद है कि शीला दीक्षित की अगुवाई वाली सरकार एक बार फिर से दिल्ली सचिवालय पर काबिज होगी।
दिल्ली सरकार के एक आला अधिकारी ने बताया कि यदि कांग्रेस ही दोबारा सत्ता में लौटी तो सरकारी कामकाज तुरंत प्रभाव से ही गति पकड़ लेगा। लेकिन भाजपा द्वारा कुर्सी संभाले जाने की सूरत में सचिवालय को गति पकड़ने में थोड़ी देर लग सकती है।
उनका कहना था कि कांग्रेस अब तक सत्ता में रही है, लिहाजा सभी योजनाओं के बारे में मुख्यमंत्री और मंत्रियों की राय अधिकारियों को मालूम है। दूसरी ओर भाजपा के नेताओं को सभी योजनाओं को नए सिरे से जानकारी देनी होगी। उनकी प्राथमिकताओं को समझना होगा और उनकी कार्यशैली के अनुरूप विभिन्न मामलों में फेरबदल भी करनी पड़ेगी। (नईदुनिया)