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खेलों पर ही रहेगा जोर

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नई दिल्ली। कांग्रेस राज लौटा तो उसकी पहली प्राथमिकता राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन ही होगी। अपनी चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने जगह-जगह कहा भी कि खेलों के बाद खिलाड़ी तो अपने-अपने वतन वापस चले जाएंगे लेकिन खेलों की तैयारी के लिए दिल्ली में सुविधाओं का जो ढांचा तैयार किया जा रहा है, वह यहीं के लोगों के काम आएगा।

पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में एक महत्वपूर्ण वादा दिल्ली में रहने वाले सरकारी कर्मचारियों को हाउसिंग सोसायटी के माध्यम से मकान बनाकर देने का किया है। अनधिकृत कॉलोनियों में बिजली, पानी, सड़क, सामुदायिक केंद्र आदि जरूरी सुविधाएं पहुँचाने का वादा भी पार्टी ने किया है। इसके अलावा रिंग रोड को छह लेन से आठ लेन में बदलना, कनाट प्लेस का पुनरुद्धार, सभी सड़कों का सौंदर्यीकरण, तीस किलोमीटर लंबे मोनो रेल कॉरिडोर का निर्माण तथा 43 किलोमीटर के दायरे में लाइट ट्रांजिट रेल रूट बनाने की प्राथमिकता भी पार्टी ने गिनाई हैं।

पार्टी ने नए विश्वविद्यालय खोलने, सार्क विश्वविद्यालय की स्थापना करने और घेवरा में दिल्ली स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स की स्थापना का वादा भी है। हर साल 30 हजार गरीब परिवारों को अस्पतालों में चिकित्सा सुविधा देने तथा गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को स्वास्थ्य बीमा सुविधा देने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू करना, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में पानी व सीवर की सुविधाएं पहुँचाना भी पार्टी की प्राथमिकता सूची में शामिल है।

चुनावी वादों की फेहरिस्त तो लंबी है लेकिन सच यह है कि यदि शीला दीक्षित की सरकार वापस सत्ता में लौटती है, तो उसके पहली प्राथमिकता राष्ट्रमंडल खेल ही होंगे। इनका सफल आयोजन करना किसी भी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। खासकर तैयारियों की धीमी गति को देखते हुए। ( नईदुनिया)

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