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दिल्ली की जनता खुशहाल हो

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नई दिल्ली। दिल्ली बने बहुत सुंदर। सफाई व्यवस्था हो एकदम बेहतर। बिजली-पानी की न हो मारा-मारी। महँगाई से न हो लोगों का जीना मुहाल। सारी जनता हो खुशहाल। आम जनता को सरकार से इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। नई सरकार से लोगों की इतनी सी चाहत है कि वह लोगों को बुनियादी सुविधाएं ही उपलब्ध करा दें।

गृहिणी बबीता जैन का कहना है कि घर से बाहर निकलते ही चारों तरफ गंदगी दिखाई पड़ती है। ऐसा नहीं लगता है कि हम देश की राजधानी में रहते है। नालियों की हफ्तों तक सफाई नहीं होती है। सफाई हुई भी तो कूड़ा उठता नहीं है। सरकार सफाई व्यवस्था बेहतर करने के लिए कोई ठोस योजना बनाए।

गांधी नगर निवासी मंजू गुप्ता का कहना है कि सिलेंडर इतना महँगा होता जा रहा है कि पूछो मत। दाल-चावल, सब्जी, फल सभी कुछ तो महँगा है। आम जनता महँगाई के बोझ तले पिसती जा रही और नेता लोगों मौज ले रहे है। जो सरकार जनता को बुनियादी सुविधाएं भी न दे पाए, ऐसी सरकार से कोई भी उम्मीद करना बेमानी है। टेलर आमिर का कहना है कि देश की आजादी के इतने साल बाद भी लोगों को सफाई, बिजली-पानी जैसी समस्याओं के लिए संघर्ष करना पड़ है। आखिर सरकार इन समस्याओं को रोकने के लिए क्यों नहीं कुछ करती है। सफाई व्यवस्था की हालत तो बहुत ही खराब है। बीमारियां फैल रही है।

व्यवसायी राजीव तायल कहते है कि सुरक्षा का मुद्दा बहुत बड़ा है। लेकिन हैरानी की बात है कि दिल्ली सरकार का इसे मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि दिल्ली पुलिस केन्द्र के अधीन है। दिल्ली में हुए आंतकी हमले से लोगों में दहशत है। महँगाई से लोग त्रस्त है। दुकानदार राम सोनकर का कहना है कि प्रदूषण का मुद्दा काफी गंभीर है।

सीएनजी बसे व तिपहिया चलाने से ही प्रदूषण खत्म होने वाला नहीं है। सार्वजनिक परिवहन की मेट्रो की तर्ज पर और बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए। इससे लोगों को प्रदूषण से निजात मिल सकेगी। दीपक का कहना है कि यमुना नदी की तरफ भी ध्यान दिए जाने की जरुरत है। यमुना जिस तरह दिनों-दिन गंदी होती जा रही है, उससे पर्यावरण बिगड़ने के पूरे आसार है। यमुना को कागजी सफाई की नहीं बल्कि वास्तविक सफाई की जरुरत है। (नईदुनिया)

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