नई दिल्ली। चार पैर के हाथी का आतंक तो था ही, मुंबई में दो पैर वाले आतंकवादियों ने और बेड़ा गर्क कर दिया। दिल्ली में चुनाव परिणामों से पहले कांग्रेसियों के बीच यही आतंक चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्हें डर है कि कहीं इसकी वजह से उनकी नाव मझधार में न फंस जाए।
दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला तो शुरू से जोरदार रहा। शुरुआत में भाजपा के लोग कहते रहे कि बसपा का हाथी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा और इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। लेकिन ठीक चुनावों से पहले मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस के सामने हाथी के आतंक के साथ-साथ आतंकवादी हरकत के कारण लोगों में पैदा हुए आक्रोश से निपटने की चुनोती भी खड़ी हो गई।
आतंकावादियों की करतूतों को राष्ट्र पर हमला करार देते हुए दिल्ली के कांग्रेसियों ने मतदान के एक दिन पहले ही कहना शुरू कर दिया था कि इसे लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। इसके बावजूद यह माना जा रहा है कि शहर के पॉश इलाकों में इस मुद्दे ने काफी रंग दिखलाया। चर्चा यह हो रही है कि दिल्ली में दोपहर बाद ज्यादा तेजी से मतदान हुआ। यह मतदान कांग्रेस के खिलाफ हुआ या नहीं, इसे लेकर आकलन किए जा रहे हैं।
पार्टी नेताओं की मानें, तो मुंबई की घटना का कुछ असर तो जरूर पड़ा है लेकिन कितना पड़ा है इसका ठीक-ठीक अनुमान लगा पाना कठिन है। एक नेता ने कहा कि सर्दी की वजह से भी लोग धूप खिलने के बाद वोट डालने निकले। लिहाजा, यह मानना जल्दबाजी होगी कि सारे वोट भाजपा के पक्ष में पड़े। पार्टी में बसपा द्वारा पहुंचाए गए नुकसान की भी चर्चा रही।
माना जा रहा है कि पूर्वी व दक्षिणी दिल्ली की कुछ सीटों पर बसपा कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। कांग्रेसी नेताओं का यह अनुमान है कि पार्टी को बाकी समुदायों का समर्थन भले नहीं मिला हो लेकिन दलित वोटरों ने उसे वोट जरूर दिया है। कितना दिया है, इसका पता मतगणना के बाद ही चलेगा।
बहरहाल, चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में जीत के दावे करने वाले कांग्रेसी हाथी और आतंक से भयभीत हैं। उन्हें यह डर सता रहा है कि कहीं इन दोनों की वजह से उनके करीब आती कुर्सी कहीं भाजपा की ओर न खिसक जाए। (नईदुनिया)