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दिल्ली चुनाव : कांग्रेस के लिए राह कितनी मुश्किल?

वेबदुनिया डेस्क

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, गुरुवार, 28 नवंबर 2013 (16:34 IST)
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पिछले पांच सालों में किए गए विकास कार्यों का हवाला देकर अपने लिए वोट मांग रही हैं। शीला दीक्षित दावा कर रही हैं कि अगर उन्हें लगातार चौथी बार सत्ता मिली तो वे जीडीपी और नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का प्रयास करेंगी। शीला के ये वादे दूसरे चुनावी वादों से अलग नहीं लगते, लेकिन फैसला जनता करेगी।

शीला दीक्षित को घेरने का प्रयास भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ही कर रहे हैं और इन दलों की तरफ से 'परिवर्तन की लहर' चलने की बात की जा रही हैं। एक तरफ भाजपा परिवर्तन की लहर में खुद को सबसे आगे मान रही है तो आप भी अपनी झाडू से सफाई करने को तैयार हो चुकी है। लेकिन शीला दीक्षित के साथ साथ कांग्रेस के अन्य नेता आश्वस्त हैं कि इस बार भी जीत कांग्रेस की ही होगी।

2008 में हुए पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मतदातों ने कांग्रेस के विकास कार्यों से प्रभावित होकर फिर से उसी के पक्ष में मतदान किया था और तब कांग्रेस को 70 में 43 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि कि ये 2003 विधानसभी चुनावों से 4 सीट कम थीं।

इस बार चुनाव में सवाल यह है कि क्या शीला दीक्षित फिर से अपने विकास कार्यों के दम पर वोट ला पाएंगी? एक तरफ कांग्रेस कह रही है कि उसने दिल्ली में फ्लॉय ओवर, किसानों, अनधिकृत कालोनी के लोगों, झुग्गी कलस्टर में रहने वालों के लिए शानदार काम किया है। वहीं विरोधी दल दिल्ली में महिलाओं की स्थिति, बिजली के बढ़ते दाम, को लेकर शीला सरकार पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस के खिलाफ मुद्दे और भी हैं और यूपीए2 शासनकाल के घोटालों का जिक्र करके भी विरोधी दल कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

कांग्रेस दिल्ली में अपनी उपलब्धियां गिनवाते हुए दिल्ली को फ्लॉवओवर का शहर कह रही है और साथ ही दिल्ली, दक्षिणी व पूर्वी दिल्ली मेट्रो रेल से जोड़ने के बड़े काम का जिक्र करना भी नहीं भूल रही है। अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो कांग्रेस शासन में दिल्ली ने तरक्की तो की है, लेकिन देश की राजधानी के तौर पर क्या यह तरक्की उस स्तर की है, जिस पर संतुष्ट हुआ जा सके? बिजली के बढ़ते दाम, राजधानी और उससे सटे इलाकों में बढ़ते अपराध विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के मुद्दे पर लोग शीला दीक्षित सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

दिल्ली चुनाव कांग्रेस, भाजपा और आप के बीच में मुकाबला जमकर होगा। दिल्ली की जनता तय करेगी कि विकास के नाम पर कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाना है या फिर सत्ता परिवर्तन की लहर से भाजपा को मौका मिलेगा? यह भी हो सकता है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही झाडू से कड़ी टक्कर का समाना करना पड़े।

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