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दिल्ली विधानसभा चुनाव : शीला से मुकाबले के लिए हर्षवर्धन तैयार

हमें फॉलो करें दिल्ली विधानसभा चुनाव : शीला से मुकाबले के लिए हर्षवर्धन तैयार
नई दिल्ली , गुरुवार, 7 नवंबर 2013 (20:55 IST)
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नई दिल्ली। डेढ़ दशक तक सत्ता से बाहर रही भाजपा को दिल्ली की गद्दी दिलाने की जिम्मेदारी संभाल रहे पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन ने कहा कि वह किसी ‘परीक्षा’ से पहले ‘तनाव’ में नहीं होते हैं और वह अपने प्रतिद्वंद्वी शीला दीक्षित द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का सामना करने को तैयार हैं।

अपनी सादी और स्वच्छ छवि के लिए मशहूर 59 वर्षीय ईएनटी सर्जन ने कहा कि राजनीति की कठोर दुनिया में वह अपने ‘सौम्य आचरण’ को अलाभकर नहीं मानते हैं और वह कांग्रेस सरकार को हराने को लेकर आश्वस्त हैं क्योंकि शहर के लोग सभी क्षेत्रों में उसके कुशासन और असफलताओं से उब चुके हैं।

हर्षवर्धन ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं परीक्षा से पहले ही सबकुछ पढ़ लिया करता था और अंतिम समय के लिए कभी कुछ बचा कर नहीं रखता था। मैं अपने जीवन में कभी तनावग्रस्त नहीं रहा। राजनीति में चुनाव का वक्त परीक्षा का समय है। मैं तनाव में नहीं हूं। मैं चीजों को बहुत सामान्य तरीके से लेता हूं। यह एक सामान्य परीक्षा जैसा है।

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री को समर्थक और विपक्षी दोनों ही ‘डॉक्टर साहब’ कह कर बुलाते हैं। उनका कहना है कि वह शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस के साथ चुनावी लड़ाई के लिए तैयार हैं। पार्टी के सत्ता में आने पर उन्होंने लोगों को एक पारदर्शी और जन-हितैषी सरकार देने का वादा किया।


भाजपा से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि यदि कांग्रेस कल शीला दीक्षित को बदल देती है तो इससे निराश होने वाला पहला व्यक्ति मैं होऊंगा। मैं चुनौतियों का स्वागत करता हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि अभी से कुछ सप्ताह बाद हम दिल्ली को अयोग्य और भ्रष्टाचार शासन के साथ-साथ वर्तमान मुख्यमंत्री से भी मुक्त देखेंगे।

यह पूछने पर कि क्या उनका बहुत ज्यादा सज्जन होना चुनावी लड़ाई में उनके लिए अलाभकर नहीं होगा? उन्होंने कहा कि वह चुनाव जीतने के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते।

हर्षवर्धन ने कहा कि यदि दिल्लीवासी यह मानते हैं कि सज्जन होना, सौम्य व्यक्ति होना या फिर ईमानदार होना अलाभकर है तो मैं सत्तालोलुप होने के स्थान पर अलाभ की स्थिति में रहना पसंद करूंगा क्योंकि यह ऐसा क्षेत्र है, जहां मैं समझौता नहीं कर सकता।

उनका यह भी मानना है कि अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को लेकर बहुत हो-हल्ला हो रहा है लेकिन वह पार्टी के लिए चुनावी लाभ में तब्दील नहीं होगा। 1993-1994 के बीच स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपनी उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली से पोलियो उन्मूलन का विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित अन्य घटकों ने भी प्रशंसा की थी।

पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में हर्षवर्धन के योगदान का प्रचार-प्रसार करने के लिए कांग्रेस लगातार भाजपा की आलोचना कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि इसके लिए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री को श्रेय नहीं दिया जा सकता है क्योंकि यह केन्द्र प्रायोजित कार्यक्रम था।

हर्षवर्धन ने कहा कि दिल्ली के लोग वर्तमान सरकार से पूरी तरह उब चुके हैं और वे निश्चित ही इसे सत्ता से हटा देंगे। सरकार में अपने अनुभवों के बूते कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भाजपा से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए डॉक्टर हर्षवर्धन का कहना है, ‘हमारे ज्यादातर सर्वेक्षण बताते हैं कि 70-80 प्रतिशत लोग वर्तमान सरकार से नाखुश हैं। वर्तमान में तथ्य भी यही है और सचाई भी।’
शीला दीक्षित पर लापरवाही से सरकार चलाने का आरोप लगते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को 15 वर्ष तक सत्ता में रहने का सौभाग्य मिलने के बावजूद वह जलभराव, आवास की कमी, बेरोजगारी और ढ़ांचागत सुविधाओं की कमी जैसी शहर की महत्वपूर्ण समस्याओं को हल नहीं कर पायी हैं।

उन्होंने प्रश्न किया, ‘पिछले 15 वर्षों में झुग्गी-बस्ती के एक भी व्यक्ति को फ्लैट क्यों नहीं दिया गया है ? उन्होंने (शीला दीक्षित) 2008 में ही सभी को फ्लैट देने का वादा किया था। किसी भी अनधिकृत कालोनी को नियमित क्यों नहीं किया गया है। वे सभी नर्क जैसी परिस्थितियों में जी रहे हैं। एक मुख्यमंत्री को 15 साल का वक्त मिलता है फिर भी शहर में जलभराव की समस्या बनी रहती है।’ (भाषा)

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