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'आप' को 19 करोड़ रुपए का चंदा

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नई दिल्ली , सोमवार, 11 नवंबर 2013 (00:17 IST)
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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (एएपी) को समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से 19 करोड़ रुपए का चंदा मिल चुका है। चंदा देने वालों में ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार किसी राजनीतिक दल को चंदा दिया है।

पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और आर्थिक मामलों के प्रभारी पंकज गुप्ता ने बताया ‘समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 63,000 लोगों से हमने 19 करोड़ रुपए का चंदा एकत्र किया है।’ पार्टी का दावा है कि उसे दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के लिए रिक्शा चालकों से लेकर व्यापारियों और उद्योगपतियों तक से 10 रुपए से लाखों रुपए तक का चंदा मिला है।

पंकज ने कहा ‘हमारा लक्ष्य दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए 20 करोड़ रुपए एकत्र करना है और हम जल्द ही इसे पूरा कर लेंगे। सितंबर के आखिरी सप्ताह तक हमने 10 करोड़ रुपए जुटाए थे लेकिन एक माह के अंदर हमें 9 करोड़ रुपए का चंदा और मिल गया।’

पार्टी ने भारत से चंदे के तौर पर 13.18 करोड़ रुपए हासिल किए जबकि शेष 6 करोड़ रुपए का चंदा उसे अमेरिका, ब्रिटेन, हांगकांग, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्विटजरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरब में रह रहे अनिवासी भारतीयों से मिला।

आम आदमी पार्टी ने अपने सभी लेनदेन का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर डाल रखा है। उसे अमेरिका में रह रहे अनिवासी भारतीयों से करीब दो करोड़ रुपए, हॉंगकांग में बसे अनिवासी भारतीयों से करीब 1.14 करोड़ रुपए और शेष रकम सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात तथा ब्रिटेन में बसे अनिवासी भारतीयों से मिली। पार्टी को जर्मनी, कतर, कुवैत, न्यूजीलैंड, नार्वे, नीदरलैंड और जापान में रह रहे अनिवासी भारतीयों से भी चंदा मिल रहा है।

‘आप’ के 63,000 ऑनलाइन दानदाता हैं जिनमें आम रिक्शाचालक, सियाचिन के सैनिक और अमेरिका में रह रहे छात्र तक शामिल हैं। विदेशों से मिलने वाले चंदे के बारे में पूछने पर पंकज ने कहा कि हम सिर्फ भारतीयों से चंदा ले रहे हैं और किसी से नहीं। उन्होंने कहा कि कुछ विदेशी भी चंदा देना चाहते थे लेकिन हमने मना कर दिया।

उन्होंने कहा कि हमने अपने प्रत्एक लेन.देन का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर डाल रखा है और कोई भी इसकी जांच कर सकता है। पिछले माह दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से ‘आप’ के खातों की जांच कर यह पता लगाने को कहा था कि अस्तित्व में आने के बाद पार्टी को कहां से कितना धन मिला। (भाषा)

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