नई दिल्ली। दिल्ली में सरकार बनने को लेकर जहां अनिश्चितता का दौर चल रहा है, वहीं ‘आप’ पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने एक बयान से दिल्ली में गर्मी बढ़ा दी है। निश्चित ही उनका यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से जोड़-तोड़ की राजनीति का हिस्सा ही माना जा रहा है।
विद्रोह की अपील : केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि घुटन महसूस करने वाले नेताओं को अपनी पार्टी से विद्रोह कर देना चाहिए। केजरीवाल ने दूसरे पार्टी के नेताओं से अपील की है कि यदि वे अपनी पार्टी में घुटन महसूस करते हैं तो उन्हें अपनी पार्टी छोड़कर ‘आप’ का समर्थन करना चाहिए। बदलते राजनीतिक घटनाक्रम और आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए केजरीवाल का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भाजपा-कांग्रेस मिलकर बनाएं सरकार : दूसरी ओरकेजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा दोनों को मिलकर सरकार बना लेना चाहिए। भाजपा को सरकार बनाने की पहल करनी चाहिए क्योंकि वह चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इसके पहले, ‘आप’ पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने कहा कि ‘आप’ पार्टी को भाजपा को सशर्त समर्थन करना चाहिए। हालांकि, बाद में वह अपने बयान से पलट गए।
केजरीवाल से यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी लोकसभा चुनावों में जाएगी। इस पर उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में कब और कैसे जाना है, इसके बारे में बाद में चर्चा की जाएगी। अभी तो मौजूद समस्या से निपटना है।
केजरीवाल ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि वह दिल्ली में सरकार बनाने के लिए न तो किसी पार्टी का समर्थन लेंगे और न ही अपना समर्थन किसी को देंगे। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी का समर्थन करने का सवाल ही नहीं उठता। केजरीवाल ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों भ्रष्टाचार में लिप्त रही हैं। (एजेंसी)