नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली यमुना पार की कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र पर इस बार पूरे देश की नजर होगी, क्योंकि इस सीट से भाजपा के घोषित मुख्यमंत्री उम्मीदवार डॉ. हर्षवर्धन लगातार चार बार से जीतते आ रहे हैं।
डॉ. हर्षवर्धन इस बार भी इसी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। डॉ. हर्षवर्धन के मुकाबले कांग्रेस ने हाल तक भाजपा में रहे व हर्षवर्धन के करीबी कहे जाने वाले डॉ. वीके मोंगा को अपना उम्मीदवार बनाया है जिससे क्षेत्र के चुनाव ने काफी दिलचस्प मोड़ ले लिया है। कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी ने क्षेत्र से मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को और रोचक बना दिया है।
क्षेत्र में मोंगा की पकड़ : कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. वीके मोंगा की क्षेत्र में काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है। डॉ. मोंगा कृष्णा नगर सीट से भाजपा से निगम पार्षद चुने गए और एकीकृत दिल्ली नगर निगम में स्वास्थ्य कमेटी के अध्यक्ष रहते हुए काफी काम करने के लिए काफी सुर्खियां बटोर चुके हैं जिसका लाभ डॉ. मोंगा को विधानसभा चुनाव में भी मिलने वाला है।
ऐसा माना जाता है कि क्षेत्र में उनकी बढ़ती लोकप्रियता को क्षेत्र के ही कुछ बरिष्ठ भाजपा नेता सहन नहीं कर पाए, नतीजन डॉ. वीके मोंगा से दूरी बनाने लगे। इसी के चलते भाजपा ने 2012 के निगम चुनाव में डॉ. मोंगा को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया। खुद मोंगा इस बात को स्वीकार करते हैं कि टिकट न मिलने से मैं काफी आहत हुआ।
डॉ. मोंगा के नजदीकियों का मानना है कि टिकट न मिलने के पीछे कहीं न कहीं डॉ. हर्षवर्धन का हाथ रहा और इसी के चलते डॉ. वीके मोंगा डॉ. हर्षवर्धन से इतने नाराज हुए कि तभी से उनके खिलाफ चुनाव लडऩे की ताक में थे। इसका फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाकर डॉ. हर्षवर्धन को उनके ही घर में घेरने की एक नायाब चाल चली।
डॉ. हर्षवर्धन कृष्णा नगर क्षेत्र से लगातार 4 बार विधायक चुने जाते रहे हैं। 1993 में जब दिल्ली में पहली बार चुनाव हुआ तो भाजपा ने कृष्णा नगर में अपना क्नीनिक चला रहे डॉ. हर्षवर्धन को अपना प्रत्याशी बनाने का निर्णय लिया।
साफ-सुथरी छवि वाले डॉ. हर्षवर्धन ने भाजपा के निर्णय पर खरे उतरते हुए भारी अंतरों से जीत हासिल की। भाजपा की सरकार बनी और डॉ. हर्षवर्धन इस सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने।