चुनावी जंग को जीत में तब्दील करने के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी पार्टियां छोटे दलों के नेताओं पर डोरे डाल रही हैं।
इसी कड़ी में भाजपा को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। दूसरी ओर लोजपा के एकमात्र विधायक पाला बदलकर जदयू में शामिल हो गए हैं।
दरअसल, रामवीरसिंह बिधूड़ी को अपने लाकर भाजपा ने दक्षिण दिल्ली में स्वाभाविक बढ़त हासिल कर ली, जबकि इससे पहले कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी। इसकी वजह दक्षिण दिल्ली में बदरपुर-तुगलकाबाद विधानसभा सीटों पर बिधूड़ियों की पकड़ और आसपास की सीटों पर भी उनका अच्छा ख़ासा-प्रभाव है।
बदरपुर से मौजूदा विधायक को अपने पाले में कर चुकी कांग्रेस ने रणनीति बनाई थी कि क्षेत्र में अच्छा-ख़ासा दखल रखने वाले पूर्व विधायक रामवीरसिंह बिधूड़ी को अपने पाले में लाकर उन्हें तुग़लकाबाद विधानसभा सीट से मैदान में उतार दें, लेकिन तुग़लकाबाद से भाजपा विधायक और दिल्ली भाजपा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे रमेश बिधूड़ी ने बाजी भाजपा के हाथों में कर ली।
रमेश बिधूड़ी ने कांग्रेस से तीन साल पहले किनारा कर लेने वाले पूर्व विधायक रामवीर को न सिर्फ भाजपा में आने के लिए मना लिया, बल्कि उन्हें कांग्रेस के ही स्थानीय दिग्गज रामसिंह नेताजी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार कांग्रेस को ठेंगा दिखा दिया।
उल्लेखनीय है कि रामवीरसिंह को उनके कार्यकाल के दौरान राज्य के सबसे कर्मठ विधायक के तौर पर सम्मानित किया जा चुका है। वे पहले एनसीपी के टिकट पर बदरपुर के विधायक बने थे। बिधूड़ी के बदरपुर में अच्छी पकड़ का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी में अपना कोई वजूद न रखने वाली एनसीपी ने नगर निगम चुनाव में बदरपुर विधानसभा की सभी सीटों पर कब्ज़ा किया हुआ है।
प्रदेश भाजपा के लिए बिधूड़ी कितने अहम हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथसिंह व दिल्ली प्रभारी नितिन गडकरी की मौजूदगी में विधूड़ी भाजपा में शामिल हुए। गौरतलब है कि रामवीरसिंह पिछली बार बदरपुर में अपने कट्टर प्रतिद्वंदी और बसपा उम्मीदवार रहे रामसिंह नेताजी के हाथों शिकस्त खाई थी। इस बार फिर दोनों आमने-सामने हैं, लेकिन रमेश बिधूड़ी की इस चाल ने भाजपा को मनोवैज्ञानिक बढ़त तो दिला ही दी है।
विस, लोस टिकट साथ-साथ : दिल्ली की सत्ता में भगवा फहराने को आतुर भाजपा विधानसभा टिकटों के साथ लोकसभा के टिकटों की घोषणा कर सकती है। पिछले 15 सालों से दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद चखने के बाद भाजपा के रणनीतिकार विधानसभा चुनावों को आम चुनाव का सेमीफाइनल मान रहे हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा में एक खेमा इस बात पर जोर दे रहा है कि विधानसभा चुनावों के टिकट वितरण के साथ-साथ आम चुनावों के टिकटों का वितरण कर दिया जाए।
सूत्रों के अनुसार इसके पीछे भाजपा के रणनीतिकार मानते है कि दिल्ली में भाजपा की लहर जो इस समय चल रही है उसे आगे भी बरकरार रखा जाए। इसके लिए भाजपा आम चुनावों में जनता के सामने चेहरा घोषित करने का मन बना रही है, जिससे दिल्ली में चुनावी माहौल को गर्म रखा जाए और मोदी की रैलीयों को बढाकर सरकार से नाराज मतों के ध्रुवीकरण की सैंध पर रोक लगाई जा सके।
दिल्ली मॉडल पर हर्षवर्धन का पहला तीर : भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार व भाजपा घोषणा पत्र समिति के संयोजक डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली मॉडल की परिकल्पना करते हुए मंहगाई को काबू करने के लिए खाद्य मूल्य आयोग का नायाब तीर अपने घोषणा पत्र के तरकश से छोड दिया है।
हर्षवर्धन ने नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन सेन के हवाले से खाद्य पदार्थों की मंहगाई खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती है, का जिक्र कर जिस तरह यूपीए सरकार की महत्वपूर्ण योजना खाद्य सुरक्षा एजेंडे व महंगाई की साठगांठ पर जो सवाल खड़े किए हैं उससे तय है कि डॉ. हर्षवर्धन के तरकश में कई तीर और हैं जो आने वाले समय में प्रभावी सरकार के पसीने छुटा सकते हैं।