राष्ट्रपति शासन की ओर दिल्ली, न आप तैयार न भाजपा
, मंगलवार, 10 दिसंबर 2013 (09:24 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनने के बाद नई सरकार के गठन पर मंगलवार को संशय बरकरार रहा। आम आदमी पार्टी (आप) ने जहां विपक्ष में बैठने की बात कही है, वहीं सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटाने को लेकर अब भी अनिर्णय की स्थिति में है और वह भी विपक्ष में बैठने के लिए तैयार है। इस बीच केंद्र दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की सोच रहा है।भंवर में फंसी दिल्ली 'सरकार', अब क्या होगा...राज्यपाल की भूमिका : हालांकि इसके साथ ही त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति उत्पन्न होने के बाद उपराज्यपाल नजीब जंग की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में सबकी निगाहें उपराज्यपाल पर जा टिकी है। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि राज्यपाल नजीब जंग नई सरकार के गठन के लिए सभी संभावनाओं पर विचार करेंगे। इस समय इस मामले में गृह मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है।हर्षवर्धन का बयान : भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन ने कहा कि पार्टी को सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं है। बहुमत के लिए चार विधायक कम पड़ रहे हैं और वह बहुमत के लिए किसी भी दल से बातचीत के लिए इच्छुक भी नहीं हैं।भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन ने कल रात कहा था कि वह दिल्ली में सरकार बनाने का दावा नहीं करेंगे क्योंकि उनकी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है और संख्या बल जुटाने के लिए विधायकों की 'खरीद-फरोख्त' में शामिल होने के बजाय वह विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने पूर्व में कहा था कि यह भाजपा की जिम्मेदारी है कि वह दिल्ली की जनता को लोकप्रिय सरकार दे। 15 साल के वनवास के बाद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। पार्टी ने मंगलवार को अपने विधायकों की बैठक बुलाई।आप न समर्थन देगी और न लेगी : आम आदमी पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक और नेता मनीष सिसौदिया ने कहा कि आप पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए भारतीय जनता पार्टी चाहे तो सरकार बनाए हम हम शर्तों के साथ समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन यह मेरी निजी राय है पार्टी की नहीं।जहां तक आप का सवाल है, सिसौदिया ने कहा कि पार्टी दोबारा चुनाव के लिए तैयार है। उनका कहना है कि दिल्ली की परिस्थिति ऐसी है कि दोबारा ही चुनाव हो। एक बार फिर आप पार्टी नेता ने साफ किया है कि उनकी पार्टी किसी भी सूरत में किसी को न तो समर्थन देगी और न ही समर्थन लेगी। पार्टी ने साथ ही कहा कि अकेला सबसे बड़े दल होने के नाते भाजपा की जिम्मेदारी है कि वह सरकार बनाए।आप के नेता योगेंद्र यादव ने पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के आवास पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद कहा कि यदि उपराज्यपाल नजीब जंग पार्टी को सरकार गठित करने के लिए आमंत्रित करते हैं तो भी वह बहुमत हासिल नहीं होने का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर देगी।36
सीटों की जरूरत : कुल 70 सीटों में से भाजपा 31 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और उसके बाद 28 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी (आप) दूसरे स्थान पर है। भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने एक सीट जीती है। दूसरी ओर कांग्रेस के पास 8 और अन्य के पास 2 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए कुल 36 सीटें चाहिए। (एजेंसी)