पहाड़पुर में 26 अप्रैल से 7 मई के शिविर में भाग लिया जिससे मुझे तीन प्रकार के लाभ हुए- प्रथम- मेरी दाहिनी भुजा हमेशा काँपती थी, अब कंपन नहीं रहा। दूसरा- मुझे बगैर शराब पिए भूख एवं नींद नहीं आती थी, पर अब खुलकर भूख लगती है और नींद भी आती है। तीसरा- शराब जैसा दुर्व्यसन जिसे दिन-रात एवं सुबह-शाम पीते रहता था, उससे छुटकारा पाया। ऐसा कल्याणकारी मार्ग अगर मेरे जीवन के आठ वर्ष पूर्व मिला होता तो यह दुर्व्यसन मेरे जीवन में नहीं आया होता।
मैं चौतमा (बर्मा) से 1938 में भारत आया और बाद में बादलपुर ग्राम-पंचायत का सरपंच होने के बाद 1977 से कुछ कुसंगत एवं अभिमानवश पीने लगा। इसके पहले इस जहर को छूना भी पाप समझता था। अब मैं शराब पीने वाले भाइयों से हार्दिक कामना करूँगा कि वे साधना-शिविर में बैठकर पूरा-पूरा लाभ उठाएँ।
इस कल्याणकारी मार्ग की एक झलक से ही मेरा जीवन का नक्शा बदलते जा रहा है। काश! यह मार्ग मुझे पहले ही मिला होता। फिर भी मुझे आत्म-संतोष है कि भूला उसे न कहिए जो घर आए शाम को। कोटि-कोटि प्रणाम के साथ आपकी मंगल कामना चाहता हूँ।