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विपश्यना ने बदला जीवन का दृष्टिकोण

- तरूण कात्याल

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दस दिवसीय विपश्यना शिविर में भाग लेने से मेरी जिंदगी और देखने का नजरिया बदल गया। मैं प्रत्यक्ष रूप से न तो अपने को धार्मिक कहता हूँ और न आध्यात्मिक। ईश्वर के साथ अपने को जोड़ने का काम सिद्धि-विनायक मंदिर में यदा-कदा जाकर कर लिया करता था। मुझे वहाँ जाकर बड़ी शांति मिलती थी। भयंकर अव्यवस्था, काम का दबाव तथा आगे क्या होने वाला है, में प्रगाढ़ शांति का अनुभव करता था।

जब मैं बीस और तीस के बीच था, विज्ञापन की दुनिया में थोड़े दिनों तक काम करके, टीवी उद्योग में काम करने लगा था। मीडिया के साथ जुड़ने का अर्थ ही होता है- तनाव का स्तर सदा ऊँचा रहना। तथापि यह एक पूर्णरूप से अस्थिर क्षेत्र है, जहाँ उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। स्टार टीवी में पाँच वर्षों तक काम करने के बाद एक ऐसा समय आया, जब मैंने पूर्णरूप से आत्म निरीक्षण किया।

भौतिक लाभ तथा व्यावसायिक सफलता के पीछे न भागकर, मैं अपने जीवन को एक नई दिशा देना चाहता था। इसी समय यशोधरा ओबेराय (नायक विवेक ओबेराय की माँ) ने मेरा परिचय विपश्यना से कराया। यह बहुत समय से विपश्यना कर रही थी और इसकी खूब प्रशंसा करती थी। बिना ज्यादा विचार किए मैं एक शिविर करने को राजी हुआ, लेकिन अंत तक मैं इसके बारे में न तो अधिक उत्साहित था और न ही अधिक प्रभावित, पर अब यहाँ 10 दिनों के आत्म-निरीक्षण से मुझे जो अनुभव हुए, वे अविश्वसनीय थे।

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विपश्यना ने मेरा जीवन तथा काम करने का दृष्टिकोण ही बदल दिया है। अब मैं बहुत ही सहजभाव से किसी को गलती करने पर क्षमा कर सकता हूँ तथा उसकी गलती को भूल सकता हूँ। पहले मैं बहुत प्रतिक्रिया किया करता था। दूसरों से ऊँचे दर्जे के काम की अपेक्षा करता था और आशानुरूप उनके ऐसा न करने पर या तो क्रोधित होता था या दुःखी और निराश। विपश्यना काम करती है, क्योंकि यह आपके सोचने के तरीके को बदलती है। इसका नियमित अभ्यास दिमाग को तेज बनाता है।

जिस प्रकार किसी भी ध्यान पद्धति का अभ्यास करने में नियमित होना आवश्यक है, उसी प्रकार विपश्यना भी आपसे नियमितता की अपेक्षा करती है। प्रथम शिविर के बाद मैं तथा मेरी तरह विचार रखने वाले और लोग इसका संवर्द्धन तथा अभ्यास करने के लिए एक स्थान पर एकत्रित होते हैं। हम लोग प्रतिदिन एक घंटे विपश्यना का अभ्यास करते हैं। गत छः वर्षों से मैं इसे लगातार एक अनुष्ठान (रिचुयल) की तरह कर रहा हूँ।

जब यात्रा में होता हूँ, तब भी इसे करना नहीं भूलता और वर्ष में एक बार दस दिवसीय शिविर में अवश्य भाग लेता हूँ। विपश्यना अनुशासन पर जोर देती है। इसका क्या प्रभाव होता है, इसे जानने के लिए आपको दिनचर्या पालन करना पड़ेगी। अनुशासन बनाए रखेंगे, (रेजीमैन) दिनचर्या तथा नियमों का कड़ाई से पालन करेंगे तब देखेंगे कि आपके जीवन में अच्छे के लिए परिवर्तन अवश्य आएगा।

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