कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज या यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करना चाहिए। जानिए यमराज के पूजन का महत्वपूर्ण मंत्र : -
यम पूजा के लिए : -
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।
पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते।।
यमराज को अर्घ्य के लिए : -
एह्योहि मार्तंडज पाशहस्त यमांतकालोकधरामेश।
भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमोऽस्तु ते॥
यमुना पूजा के लिए : -
यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते।
वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥
चित्रगुप्त की प्रार्थना के लिए : -
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
भैयादूज के दिन चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। यमराज के आलेखक चित्रगुप्त की पूजा करते समय यह कहा जाता है- लेखनी पट्टिकाहस्तं चित्रगुप्त नमाम्यहम्।
दूज का महत्व जानिए :-
वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त का पूजन लेखनी के रूप में किया जाता है।
यदि बहन (चचेरी, ममेरी, फुफेरी कोई भी हो) अपने हाथ से इस दिन भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का महत्व है। इस दिन यमुनाजी के पूजन का विशेष विधान है।