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श्री महालक्ष्मी के ‍दिव्य स्वरूप

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श्री उत्तर ऋग्वेद के श्रीसूक्त के मुताबिक श्री यानी वैभव, समृद्धि, यश और सबसे बढ़कर यानी सुकून है। भगवान विष्णु के आदेश पर देव-दानवों ने क्षीरसागर का मंथन किया और अन्य रत्नों के साथ लक्ष्मी भी जल के ऊपर आईं। लक्ष्मी यानी चंचला लेकिन विष्णु को पति के रूप में वरण कर वे शेषशायी की सहचरी के आदर्श रूप पतिपरायण यानी श्री महालक्ष्मी के रूप में स्वीकार की गईं।

श्री महालक्ष्मी जो तमोगुण रूप धारण कर महाकाली भी कहलाईं, सत्वगुण संपन्ना होने पर महासरस्वती हैं। दोनों का संयुक्त स्वरूप यानी स्थिर लक्ष्मी है। यही वजह है कि दीपावली पूजन में लक्ष्मीजी के साथ सरस्वतीजी भी शामिल रहती हैं।

श्री महालक्ष्मी यानी विष्णु की शोभा, शक्ति, कांति, श्री! श्री विष्णु की गूढ़ माया शक्ति जब मूर्त होती है तो वह लक्ष्मी रूप में होती है। श्री महालक्ष्मी के मंदिर में उनका वाहन वनराज सिंह होता है, लेकिन साथ होती हैं लक्ष्मी से संबंधित वस्तुएँ- कमल, गज, सुवर्ण और बिल्व फल! नैवेद्य में उन्हें खड़ी शकर और दूध जैसे सहज-सुलभ पदार्थ पसंद हैं।

श्री महालक्ष्मी के 8 रूप दो तरह से बताए गए हैं-
(1) धनलक्ष्मी/ धान्य लक्ष्मी/ शौर्य लक्ष्मी/ धैर्य लक्ष्मी/ विद्या लक्ष्मी/विजय लक्ष्मी/ कीर्ति लक्ष्मी/ राज्य लक्ष्मी।
(2) आदिलक्ष्मी/ धन लक्ष्मी/ धान्य लक्ष्मी/ ऐश्वर्य लक्ष्मी/ गज लक्ष्मी/ वीर लक्ष्मी/ विजय लक्ष्मी/ संतान लक्ष्मी।

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महाभारत में स्वयं श्री महालक्ष्मी ने बताया है कि मैं कहाँ-कहाँ हूँ- 'मैं प्रयत्न में हूँ, उसके फल में हूँ। शांति, प्रेम, दया, सत्य, सामंजस्य, मित्रता, न्याय, नीति, उदारता, पवित्रता और उच्चता- इन सबमें मेरा निवास है।

भक्त पर प्रसन्न होने पर वे धनवर्षा करती हैं। धन यानी केवल पैसा नहीं वरन वस्त्र, भोजन, पेय, धन-धान्य आदि इसके विस्तृत अर्थ में हैं। श्री महालक्ष्मी जो देती हैं, वह इससे भी अधिक बढ़कर चिरस्थायी और जीवनस्पर्शी है। तभी तो कहते हैं कि अनैतिकता और दाँव-पेंच से हासिल धन-दौलत, कामयाबी कब फिसल जाए, पता नहीं। सो इस दीपावली पर श्री महालक्ष्मी का पूजन कर सुख-शांति के आशीर्वाद की कामना करें।

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