महालक्ष्मी पूजन स्थिर लग्न में अति उत्तम रहता है। इससे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। वृषभ, सिंह, वृश्चिक व कुंभ स्थिर लग्न होती है। इस वर्ष के स्थिर लग्न मुहूर्त निम्न है-
स्थिर लग्नानुसार-
प्रात:काल- 7.12 से 9.29 तक (वृश्चिक लग्न)
अपराह्न- 1.19 से 2.50 तक (कुंभ लग्न)
सायंकाल- 5.54 से 7.50 तक (वृषभ लग्न)
मध्यरात्रि- 12.22 से 2.39 तक (सिंह लग्न)
चौघड़िया अनुसार-
दिवसकालीन-
प्रात:- 7.55 से 9.18 (शुभ)
मध्याह्न- 1.00 से 2.49 (लाभ)
मध्याह्न- 2.49 से 4.11 (अमृत)
सायंकालीन-
सायं- 5.34 से 7.12 बजे तक (लाभ)
सायं- 8.49 से 10.26 बजे तक (शुभ)
रात्रि- 10.26 से 12.00 तक (अमृत)
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त-
प्रात:- 7.55 से 9.18 तक
सायं- 5.54 से 7.12 तक
मध्याह्न- 1.19 से 2.50 तक
कब क्या करें?-
स्नान- प्रातःकाल
देवपूजन- स्नान के उपरांत
पितर पूजन- दोपहर
ब्राह्मण भोजन- दोपहर
महालक्ष्मी पूजन- प्रदोषकाल में
दीपदान- प्रदोषकाल में
मशाल दर्शन- सायंकाल
दीपमाला प्रज्वलन- सायंकाल
पूजन सामग्री- रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत, धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक, खील, बताशे, श्रीयंत्र, शंख (दक्षिणावर्ती हो तो अतिउत्तम), घंटी, चंदन, जलपात्र, कलश, लक्ष्मी-गणेश-सरस्वतीजी का चित्र या विग्रह) पंचामृत, गंगाजल, सिन्दूर, नैवेद्य, इत्र, जनेऊ, श्वेतार्क पुष्प, कमल का पुष्प, वस्त्र, कुमकुम, पुष्पमाला, फल, कर्पूर, नारियल, इलायची, दूर्वा।
बाईं ओर रखें-
जलपात्र, घंटी, धूप, तेल का दीपक।
दाईं ओर रखें-
घी का दीपक, जल से भरा शंख।
सामने रखें-
चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत व नैवेद्य।
तत्पश्चात विधिवत पूजन करें।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र