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Bhai Dooj Niyam aur Mantra भाई दूज कैसे मनाएं, जानिए सबसे सही शास्त्रीय विधि और भाई दूज का शुभ मंत्र

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भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाई जाती है। 
 
यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है तो भाई दूज अगले दिन मनाने का विधान है। इसके अलावा यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि नहीं आती है तो भी भाई दूज अगले दिन मनाई जानी चाहिए। ये तीनों मत अधिक प्रचलित और मान्य है।
 
एक अन्य मत के अनुसार अगर कार्तिक शुक्ल पक्ष में जब मध्याह्न (दिन का तीसरा भाग) के समय प्रतिपदा तिथि शुरू हो तो भाई दूज मनाना चाहिए। हालांकि यह मत तर्क संगत नहीं बताया जाता है।
 
भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक व भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा यम पूजन भी दोपहर के बाद किया जाना चाहिए।
 
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज, भाई दूज अथवा यम द्वितीया को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं। 
 
आइए जानें कैसे मनाएं भाई दूज - 
 
* भाई दूज/भैया दूज के दिन लगभग 5 बजे (ब्रह्म मुहूर्त) में उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर शरीर पर तेल मलकर स्नान करें। 
 
* इस दिन भाई तेल मलकर गंगा-यमुना में स्नान करें। (यदि यह संभव न हो तो बहन के घर स्नान करें।) 
 
बहन इस मं‍त्र से भाई का अभिनंदन करें 
 
मंत्र- 
भ्रातस्तवानुजाताहं भुंक्ष्व भक्तमिमं शुभं।
प्रीतये यमराजस्य यमुनाया विशेषत:।।
 
* तत्पश्चात बहन भाई को भोजन कराकर तिलक लगाएं।
 
* इस दिन बहनों को चाहिए कि भोजन में भाइयों को चावल खिलाएं। 
 
* भाई भोजन के बाद बहन के चरण स्पर्श कर उपहारस्वरूप वस्त्राभूषण आदि दें।
 
* इस दिन भाई को अपनी बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। बहन सगी (अपने माता-पिता से उत्पन्न), ममेरी (मामा-मामी से उत्पन्न), चचेरी (चाचा-चाची से उत्पन्न), धर्म (रक्षाबंधन द्वारा बनाई गई) कोई भी हो सकती है। 
 
* अपने भाई को शुभ आसन पर बैठाकर, हाथ-पैर धुलाकर, चावलयुक्त उत्तम पकवान, मिठाई आदि से अपनी सामर्थ्‍य अनुसार भोजन कराएं। भोजन पश्चात भाई को तिलक लगाकर उसके आयुष्य की कामना करें।
 
* भाई अपनी बहन को यथा सामर्थ्य सौभाग्य वस्तुएं (वस्त्र, आभूषण) व नकद द्रव्य देकर उसके सौभाग्य की कामना करें। 
 
* बहन के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करे। 
 
* इस दिन यमराज तथा यमुनाजी के पूजन का भी विधान है। 
 
दिन भाई-बहन साथ-साथ यमुना अथवा अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर आयुष्य एवं सौभाग्य की कामना करते हैं।
भाई दूज की तिथि : शनिवार,6 नवम्बर 2021 
 
भाई दूज तिलक का शुभ समय : 1 बजकर 10 मिनट 12 सेकंड से प्रारंभ होकर 03 बजकर 21 मिनट से 29 सेकंड तक रहेगा।
 
भाई दूज के शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:19 से दोपहर 12:04 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर  01:32 से 02:17 तक।
अमृत काल मुहूर्त- दोपहर 02:26 से 03:51 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:03 से 05:27 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 05:14 से 06:32 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:08 तक।
भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। 

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