दीपावली का त्योहार गोवत्स द्वादशी से प्रारंभ होता व गोवर्धन पूजन तक चलता है अर्थात कार्तिक शुक्ल पक्ष की 12 से कार्तिक शुक्ल पक्ष की पड़वा तक पांच दिन चलने वाले इस त्योहार के प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है।
इन पांच दिनों में पूजन-पाठ, खरीदारी, टोटके, सिद्धियां होने के बाद भाई-दूज का त्योहार आता है।
प्रथम दिन गोवत्स द्वादशी के दिन माता अपने पुत्र की लंबी आयु, उन्नति व सुख-शांति के लिए गौ-माता व बछड़े का पूजन करती है।
दूसरे दिन धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि जी का पूजन किया जाता है व उनसे स्वस्थ रहने की प्रार्थना की जाती है। इसी के साथ नई वस्तुएं जैसे मोबाइल, दोपहिया वाहन, कार, नया मकान, सोना आदि खरीदे जाते हैं। यह सब सही मुहूर्त पर खरीदें तो शुभ होता है।
धन्वंतरि जी के पूजन का मुहूर्त :
अमृत-चौघड़िया- सुबह 06.35 से 07.59 तक।
लाभ-चौघड़िया- दोपहर 02.58 से 04.22 तक।
धनु-लग्न- सुबह 10.34 से 12.40 तक।
कुंभ-लग्न- दोपहर 02.27 से 04.01 तक।
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मोबाइल एवं इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने का मुहूर्त :
शुभ-चौघड़िया- सुबह 09.23 से 10.47 तक।
कुंभ-लग्न- दोपहर 02.27 से 04.01 तक।
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कार एवं दोपहिया वाहन खरीदने का मुहुर्त :
शुभ-चौघड़िया- सुबह 09.23 से 10.47 तक।
कुंभ-लग्न- दोपहर 12.10 से 04.01 तक।
चर-चौघड़िया- दोपहर 01.34 से 02.58 तक।
वृषभ-लग्न- रात्रि 07.14 से 09.14 तक।
अमृत-चौघड़िया- शाम 04.22 से 05.45 तक।