दीपावली के 5 दिनी उत्सव में सबसे पहले धनतेरस, फिर नरक चतुर्दशी, फिर दीपावली, फिर गोवर्धन पूजा और इसके बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का त्योहार होता है। भाई दूज को संस्कृत में भागिनी हस्ता भोजना कहते हैं। यह त्योहार लगभग पूरे देश में मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि इस दिन कौन से प्रमुख 3 कार्य किए जाते हैं।
1. भाई को तिलक लगाना : भाई दूज का त्योहार यमराज के कारण हुआ था, इसीलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक लगाकर उसकी आरती उतारकर उसे भोजन खिलाती है। भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद पान खिलाने का प्रचलन है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है। भाई दूज पर जो भाई-बहन यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं।
2. यम पूजन : भाईदूज पर यम और यमुना की कथा सुनने का प्रचलन है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है। यम के निमित्त धन तेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पांचों दिन दीपक लगाना चाहिए। कहते हैं कि यमराज के निमित्त जहां दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है।
3. चित्रगुप्त की पूजा : इस दिन यम के मुंशी भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी प्रचलन है। कहते हैं कि इसी दिन से चित्रगुप्त लिखते हैं लोगों के जीवन का बहीखाता। इसीलिए वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है।