हर व्यक्ति अपने किसी न किसी या एकाधिक शत्रुओं से त्रस्त रहता है तथा उसे इसका भौतिक रूप से निदान नहीं मिलता। मंत्रों के द्वारा शत्रु की शत्रुता, मित्रता में बदल सकती है तथा मार्ग के कंटक दूर किए जा सकते हैं। मंत्र प्रयोग निम्न प्रकार हैं-
1. सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वेरि नाशनम्।।
2. सर्वाबाधासु घोरासु वेदनाभ्यर्दितोपि वा।
स्मरन् ममैत चरितं नरो मुच्येत संकटात।।'
दीपावली की रात्रि को श्री गणेश पूजन के पश्चात माता जगदम्बा का पूजन कर 1100 जप कर एक माला हवन करें तथा नित्य एक माला जपें। शीघ्र ही शत्रु नतमस्तक होंगे तथा सभी बाधाएं दूर होंगी।
3. मां काली, महाकाली, दक्षिण काली इत्यादि जितने भी रूप हैं, वे सभी शत्रुनाश तथा मोक्ष देने वाले हैं। प्रथम गणेशपूजन कर मां काली के किसी भी यंत्र, प्रतिमा, चित्र का पूजन कर अर्धरात्रि में 21 माला जप कर यथाशक्ति हवन करें तथा नित्य एक माला जप करें तथा इसके लाभ स्वयं देखें।
मंत्र (1) 'ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हुं हुं ह्रीं ह्रीं महाकाली।
क्रीं क्रीं क्रीं हुं हुं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।।'
(2) 'ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हुं हुं ह्रीं ह्रीं दक्षिण कालिके
क्रीं क्रीं क्रीं हुं हुं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।।'
(3) 'काली कराली च, मनोजवा च,
सुलोहिता य चसुधूम्र वर्णा।
सुलिंगिनी विश्वरुचि च देवी,
लेलायमाना इति सप्तजिह्वा।।'
उपरोक्त मंत्रों में से किसी एक मंत्र की 21-51 माला दीपावली की रात्रि में कर यथाशक्ति हवन कर नित्य 1-5-7-11 माला जपें तथा जीवन का आनंद लें।
या
श्री हनुमानजी की यथासंभव पूजन कर उपरोक्त तरीके से निम्न मंत्र जपें, हवन करें।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते हनुमते।'
'मम कार्येषु ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल असाध्यं साधय मां रक्ष रक्ष सर्व दुष्टेभ्यो हुं फट स्वाहा।''
रक्तपुष्पों से पूजन करें।