दीपावली पर लक्ष्मी-पूजन के कुछ वास्तु नियम
दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का पूर्णरूप से फल तभी प्राप्त होता है यदि उसे विधिवत तरीके से और कुछ नियमों का पालन करते हुए किया जाए।
पूजा-स्थल दरवाजे की सीध में न रखें।
दरवाजे से ज्यादा दूरी रखने से ज्यादा सफलता मिलती है।
गोल पायों की चौकी पर मंदिर बनाएँ।
फर्श पर मूर्तियाँ न रखें और न ही कुछ सामान रखें।
कुछ लोग घर के मध्य-भाग को पूजा के लिए अच्छा मानते हैं, पर मध्य से जरा हटकर ही पूजा होनी चाहिए।
दिवाली की पूजा दक्षिण-पूर्व दिशा में मोमबतियाँ, ज्योति हवन आदि जलाकर तीन दिन तक की जाए तो
अवश्य ही लाभ प्राप्त होता है।
घर उत्तरी भागों में केवल जल का लोटा व फूल लेकर पूजा करना लाभदायक सिद्ध होता है। यहाँ ज्योति केवल नाममात्र के लिए जलाएँ। यहाँ हवन न करें।
यहाँ बैठ कर पूजा करने से कठिन व दु:साध्य कार्य में भी सफलता मिलती है।
लंबी आयु का जीवनदान मिलता है तथा अच्छी सोच और समझ पैदा होती है।
लेकिन पहले आप जांच लें कि उत्तर-पश्चिम में कोई वास्तु-दोष न हो। जिस भवन के पीछे दक्षिण-पश्चिम भाग ऊंचा हो, वहाँ मंदिर हो, कोई चबूतरा या प्लेटफॉर्म हो तो ग्रहस्वामी धनी होता है। ऐसे स्थल पर पूजा करने से दीपावली पर वास्तव में धन-लक्ष्मी प्रवेश के साधन जुटते हैं।
उत्तर-पूर्वी भाग में फूल, गंगाजल, इत्र गुलाब-जल आदि से पूजा करना बहुत लाभदायक होता है।
घर के उत्तरी-भाग में ज्योति-बाती कम से कम समय के लिए जलाएं।
दक्षिण-पूर्व में ज्योति-बाती ज़्यादा समय के लिए जलाएँ।
अपने दीपावली पूजन के स्थल पर आम के फल जरूर रखें।
हो सके तो दरवाजे के ऊपर आम के पत्तों की बंदनवार भी लगा दें।
बाथरूम, टॉइलेट के दरवाजे बंद कर दें या पर्दा लगाकर ढक दें।
रसोईघर में दीपावली की पूजा न करें।
झूठे बर्तनों की अस्वच्छता तथा सिंक और सीवर की नाली ससोई में रहती है।
पूजा से उत्पन्न सारा धन-लक्ष्मी का फल इस नाली के रास्ते बाहर हो जाता है।
घर को स्वच्छ रखें। दरवाजे से लेकर पूजा-स्थल का रास्ता साफ हो, कुछ सामान फर्श पर बिखरा न रहे।
घर में पूर्ण रौशनी की व्यवस्था रहे।
घर में लगे झाड़-फानूस आदि की विशेष सफाई करवाएं।
कुछ दिन पहले यदि हो सके तो संतरे के छिलकों के रस या नींबू के रस को बिना नमक के पानी में मिलाकर फर्श को धोएं या पोंछा लगवाएं। ऐसा करने से आए के साधन बढ़ते हैं।
--डॉ अनिता कपूर (कैलिफोर्निया,अमेरिका)