Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

राजा-महाराजा से लेकर अरबपति करते हैं कौन सी खास लक्ष्मी पूजा? क्यों रुकती है लक्ष्मी इनके घर, जानिए यहां

हमें फॉलो करें राजा-महाराजा से लेकर अरबपति करते हैं कौन सी खास लक्ष्मी पूजा? क्यों रुकती है लक्ष्मी इनके घर, जानिए यहां

आचार्य राजेश कुमार

प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा राजाओं-महाराजाओं के यहां स्थाई सुख शांति हेतु समय-समय परपूजा-पाठ अनुष्ठान किये जाते थे जिस कारण पीढ़ी दर पीढ़ी समृद्धता बनी रहती थी। इन्हीं अनुष्ठानों में से एक है महालक्ष्मी जी की एक अति दुर्लभ और अचूक अनुष्ठान जिसे सहस्त्ररूपा सर्व्यापी लक्ष्मी कहा जाता है।
 
लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन ही नहीं होता, बल्कि जीवन की समस्त परिस्थितियों की अनुकूलता ही ‘लक्ष्मी’ कही जाती हैं। सहस्त्र रुपा सर्व व्यापी लक्ष्मी का अर्थ - 
1-धन लक्ष्मी, 2-स्वास्थ्य लक्ष्मी 3-पराक्रम लक्ष्मी 4-सुख लक्ष्मी 5-संतान लक्ष्मी 6-शत्रु निवारण लक्ष्मी 7-आनंद लक्ष्मी 8- दीर्घायु लक्ष्मी 9-भाग्य लक्ष्मी 10-पत्नी लक्ष्मी 11-राज्य सम्मान लक्ष्मी 12 वाहन लक्ष्मी 
13-सौभाग्य लक्ष्मी 14-पौत्र लक्ष्मी 15-राधेय लक्ष्मी इत्यादि होता है।
 
 
जानिए सहस्त्ररूपा सर्व्यापी लक्ष्मी साधना विधि -  प्रत्येक वर्ष दीपावली या मकर संक्रांति के दिन सर्वत्र विद्यमान, सर्व सुख प्रदान करने वाली माता महालक्ष्मी जी की पूजन करने का विधान है।
इस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करने से सहस्त्ररुपा सर्व व्यापी लक्ष्मीजी सिद्ध होती हैं। 
आमदनी के नए-नए लक्षण बनने लगते हैं। 
आर्थिक उन्नति,पारिवारिक समृद्धता ,व्यापार में वृद्धि, यश, प्रसिद्धि बढ़ने लगती है। 
दरिद्रता और कर्ज समाप्त होने लगता है। 
पति-पत्नी के बीच कलह समाप्त होने लगता है। 
सभी प्रकार के मानोवांछित फल प्राप्त होने लगते हैं।
 
 
समय - इस पूजन को विशेष रूप से अमावस्या को अर्ध रात्रि में किया जाना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। प्रत्येक दीपावली एवं मकर संक्रांति के दिन अमावस्या होती है अतः इसी दिन यह पूजा करना लाभ प्रद होता है। सहस्त्ररुपा सर्व व्यापी लक्ष्मीजी सिद्ध करने का समय इस वर्ष दीपावली को अपरान्ह 2.00 pm से 4.00 pm के मध्य या रात्रि 11.30 से 02.57 बजे के मध्य में रहेगा।
 
सामग्री
1.श्री यंत्र ( ताम्बा,चांदी या सोने का) एक
2.तिल का तेल 500 ग्राम
3.मिट्टी की 11 दियाली
4. रुइ बत्ती लंबी वाली 22
5.केसर
6.गुलाब या चमेली या कमल के 108 फूल
7.दूध ,दही,घी,शहद और गंगा जल
8.सफेद रुमाल
9.साबुत कमल गट्टा दाना 108 को किसी ताम्बे के कटोरे में पिघला घी मे डाल कर रखें।
10.कमल गट्टे की माला एक
11.आम की लकड़ी 1.5kg
12.पिलि धोती,पिला तौलिया या गमछा
13.ताम्बा या पीतल या चांदी की बड़ी परात( जिसमे उपरोक्त समान आ सके)
14.फूल या पीतल का भगौना या अन्य पात्र
 
नोट- इस पूजा में किसी भी प्रकार का स्टील या लोहे का बर्तन का प्रयोग वर्जित है।।
 
पूजन विधि - सर्वप्रथम स्नान करके पीला वस्त्र पहन कर समस्त सामान पूजा स्थल पर अपने पास रख लें और पूर्व या उत्तर की ओर मुह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने परात रखें। उस परात के ठीक बीच में श्री यंत्र को रख दें अब श्री यंत्र के चारो तरफ 11 तिल के तेल का दीपक ऐसे रखें की दीपक की लौ साधक की ओर होनी चाहिए। यदि पत्नी बैठें तो अपने दाहिनी तरफ बैठाएं।
 
अब दीपक को थाली के बाहर कर लें। परात के केंद्र में स्वस्तिक का निशान बनावें। श्री यंत्र पर 11 बिंदी लगाएं। ग्यारहवीं बिंदी यंत्र के केंद्र में थोड़ा बड़ी बिंदी लगा कर परात के केंद्र पर रख दें। अब गणपति एवं विष्णु जी का बारी-बारी ध्यान करके हाथ में जल अक्षत पुष्प लेकर "ऊँ श्रीं श्रीं सहस्त्र रुपा सर्व व्यापी लक्ष्मीजी" का पूजन करने हेतु संकल्प ले एवं हाथ की सामग्री पृथ्वी पर गिरा दें। अब परात में रखे 11 दीपक परात से बाहर निकालें।
 
अब श्री यंत्र को किसी पीतल या फूल के पात्र में क्रमशः दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से स्नान कर कर अब गंगा
जल से स्नान कराकर यंत्र को सफेद कपड़े से अच्छी तरह पोछ लें। स्नान कराने पर जो सामग्री फूल य पीतल के
पात्र मे इकट्ठा हुई वही सामग्री पूजन के पश्चात प्रसाद रूप में ग्रहण की जायेगी। प्रसाद हेतु मिश्री डालकर
खीर बनाकर अर्पित कर सकते हैं।
 
अब परात के बीच में पुनः स्वस्तिक का निशान बना कर श्री यंत्र को स्थापित करके पहले की तरह उस पर 11 बिंदी केशर की लगाएं। तत्पश्चात धूपबत्ती या अगरबत्ती जलाएं एवं यंत्र के चारों तरफ पहले की तरह उन दीपकों को लगा कर कमल गट्टे की माला से निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए एक -एक फूल बारी बारी से प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा बोलते हुए श्री यंत्र पर 108 पुष्पों को (आप या आपकी पत्नी या कोई अन्य) रखते जाएं।
 
मंत्र है  -  ऊं श्रीं -श्रीं सहस्त्र-रुपा सर्व- व्यापी लक्ष्मी सिद्धये श्रीं-श्रीं ऊँ नमः
 
अब हवन पात्र में आम की लकड़ी रख कर अग्नि प्रज्ज्वलित कर के कमल गट्टे की माला से पुनः उपरोक्त मंत्र एवं स्वाहा के उच्चारण के साथ एक एक कमल गट्टे के दाने को घी सहित किसी आम्र- पल्लव या ताम्बे के चम्मच से थोड़ा थोड़ा घी सहित हवन कुण्ड में डालते जाएं। अंतिम मंत्र के साथ कटोरे का समस्त घी अग्नि मेंं डाल दें। अब आपकी पूजा सम्पन्न हुई। अब मुख्यतःलक्ष्मी गणेश जी की आरती घी के दीपक से करके प्रसाद को मां लक्ष्मी एवं अग्नि देव को ग्रहण कराएं। तत्पश्चात अब घर के सदस्य आरती लेकर उस प्रसाद को ग्रहण करें। इस पूजा मे आप सफेद मिष्ठान भी चढ़ा सकते हैं।
 
अब आपकी पूजा पूर्णरूप से सम्पन्न हुई। पूजा के पश्चात रात्रि 4.30 बजे तक सोना नहीं चाहिए आप पूजा के पश्चात भजन कीर्तन कर या सुन सकते हैं। सुबह आप श्री यंत्र को पूजा में या आलमारी के लॉकर में या दुकान में या कहीं भी पवित्र स्थान पर लाल कपड़े में लपेट कर रख सकते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जानिए कौन है धनतेरस के देवता भगवान धन्वंतरि? क्या कहते हैं पुराण