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दीये व रंगोली से प्रसन्न होंंगी लक्ष्मी, पढ़ें कथा

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हर तरफ जमगाते, रौशन दीये दीपावली की पहचान है। सदियों से दिवाली पर दीये जलाने की परंपरा कायम है, जो अमावस के अंधकार को भी प्रकाशमय कर, हमारे मन में भी उत्साह और प्रकाश का संचार करती है। कब से हर घर में दीये जलाने की परंपरा शुरू हुई यह कोई नहीं जानता, लेकिन इस बारे में कई तरह की बातें कही जाती है। माना इस महापर्व पर दीये जलाने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है और इस संबंध में एक कथा भी बहुत प्रचलित है, जो दीप जलाने के कारण को स्पष्ट करती है। 

 
एक नगर में एक बुढ़िया और उसकी चतुर बहू झोपड़ी में रहते थे। एक बार नगर की रानी नदी पर स्नान करने जाती है और अपना नौलखा हार वहीं भूल आती है, जिसे एक चील उठाकर ले जाती है।
 
चील उस हार को लेकर बुढ़िया की छत पर बैठती है और वहां एक मरा हुआ सांप देखकर हार वहीं छोड़ जाती है और सांप उठाकर ले जाती है। जब राजा को रानी के हार गुम होने का पता चलता है तो वे पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवा देते हैं कि जो भी रानी का नौलखा हार लौटाएगा उसे राजा की तरफ से मुंह-मांगा ईनाम दिया जाएगा। 
 
बुढ़िया की चतुर बहू झोपड़ी की छत पर चमकता हुआ हार देख लेती है। वह उस हार को राजा को लौटाने जाती है और राजा से एक वचन लेती है कि दीपावली की रात सबसे ज्यादा मेरा ही घर चमके, राजमहल से भी ज्यादा। जबकि, नगर के सभी घरों में सिर्फ एक-एक दीया ही जले! यह संभव तो नहीं था, पर राजा वचन दे चुके थे। राजा को कहना पड़ा कि ठीक है ऐसा ही होगा।

दीपावली की रात बुढ़िया और उसकी बहू की झोपड़ी पूरे राज्य में सबसे ज्यादा झिलमिला रही थी। दीपावली की रात जब लक्ष्मीजी घूमने निकलीं तो उस बुढ़िया की झोपड़ी में झिलमिलाहट देखकर वहीं रुक गईं और झोपड़ी का दरवाजा खटखटाया ! उस समय बहू आंगन में बनी रंगोली को दीयों से सजाने में व्यस्त थी। 
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लक्ष्मीजी को देखते ही उसने अनगिनत दीप प्रज्वलित कर दिए और लक्ष्मीजी को आदर पूर्वक अंदर ले आई। लक्ष्मीजी बुढ़िया और बहू की सहस्त्रों दीपकों से जगमगाती झोपड़ी को देखकर बेहद प्रसन्न हुईं और वर दिया कि जिस तरह तुमने अपने घर के आंगन को रौशन किया है उसी तरह तुम्हारी तिजोरी भी हीरे-जवाहरातों से जगमगाए। 
 
इस कथा से जुड़ी यही मान्यता है कि दीपावली पर रंगोली बनाकर उन्हें दीपों से सजाकर, घर की हर देहरी पर दीपक जलाकर अंधकार दूर करने से ही लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं। प्रसन्न लक्ष्मी ही धन-दौलत समेत संपूर्ण वैभव से घर भर देती हैं। 
 
यही कारण है कि दीपावली पर विद्युत प्रकाश के साथ तेल के दीयों का प्रकाश अवश्य किया जाता है। यह दीये हमारे आसपास के अंधकार के साथ हमारे मन के अंधकार को भी दूर करते हैं। दीपक के इस अलौकिक सौंदर्य से ही जीवन भी प्रकाशमान होता है।

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