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दिवाली से पहले पढ़ें यह विशेष जानकारी, श्रीयंत्र मां लक्ष्मी का स्वरूप नहीं है बल्कि....

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पं. हेमन्त रिछारिया

श्रीयंत्र  का नाम सुनते ही मस्तिष्क में मां लक्ष्मी का विग्रह उभरने लगता है लेकिन आप यह जानकर आश्चर्यचकित होंगे कि श्रीयंत्र का मां लक्ष्मी से कोई संबंध नहीं है। वास्तविक रूप में श्रीयंत्र दस महाविद्याओं में से एक मां त्रिपुरसुन्दरी का यंत्र है। जिस प्रकार मां लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी है उसी प्रकार मां त्रिपुरसुन्दरी जिन्हें ललिता देवी भी कहा जाता है, ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी है। 
 
वर्तमान समय में धन को ऐश्वर्य का पर्याय मान लिया गया है किन्तु ऐसा कतई नहीं है। सही मायनों में धन ऐश्वर्य का एक अंग मात्र है। ऐश्वर्य में धन, रूप, बुद्धि, प्रतिष्ठा, आरोग्य, सभी कुछ समाहित होता है। अत: आप केवल धन पाना चाहते हैं तो मां लक्ष्मी की आराधना करें किन्तु यदि आप ऐश्वर्य पाना चाहते हैं तो आपके लिए मां त्रिपुरसुन्दरी की आराधना करना श्रेयस्कर रहेगा। श्रीयंत्र इन्हीं मां त्रिपुरसुन्दरी का प्रतिनिधि यंत्र है। मां त्रिपुरसुन्दरी की आराधना के लिए श्रीयंत्र की स्थापना एवं ललितासहस्त्रनाम का पाठ करना लाभदायक रहता है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: [email protected]

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