Dhanteras to Diwali 5 day Festival: दीपावली का त्योहार सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि धन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा के आगमन का पर्व है। धनतेरस से शुरू होने वाला यह पंचदिवसीय उत्सव मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव को समर्पित है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इन दिनों में किए गए छोटे-छोटे बदलाव और उपाय घर में स्थायी सुख-समृद्धि ला सकते हैं। घर की सही दिशा में सफाई, पूजा और दीपदान से नकारात्मकता दूर होती है और लक्ष्मी जी का स्थाई वास होता है।
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आइए यहां जानते हैं 5 दिवसीय दीपावली पर्व पर वास्तु के अनुसार पावरफुल टिप्स:
1. धनतेरस (धनत्रयोदशी): यह दिन भगवान धन्वंतरि, माँ लक्ष्मी और कुबेर जी को समर्पित है। जानें वास्तु टिप, इस दिन क्या करें...
* खरीदारी की दिशा: धनतेरस के दिन सोने-चांदी, बर्तन या झाड़ू को घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) की दिशा में रखें। यह दिशा धन और कुबेर जी से जुड़ी है।
* झाड़ू: नई झाड़ू (लक्ष्मी का प्रतीक) अवश्य खरीदें। इसे हमेशा छिपाकर और ज़मीन पर ही रखें, खड़ी करके या मंदिर के पास न रखें।
* मुख्य द्वार: मुख्य द्वार को अच्छे से साफ करें और सजाएं। आम या अशोक के पत्तों की तोरण (Bandanwar) लगाएं।
* यम दीपदान: शाम को घर के दक्षिण दिशा में चार मुख वाला मिट्टी का दीया (यम दीपक) जलाएं। यह यमराज को प्रसन्न करने और अकाल मृत्यु से बचने के लिए किया जाता है।
* धन संग्रह: धनतेरस पर खरीदे गए सिक्के, कौड़ी या कमलगट्टे को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा के बाद अपनी तिजोरी या कैश बॉक्स में रखें।
2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): छोटी दिवाली तथा नरक चतुर्दशी यह दिन नकारात्मकता को दूर करने और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।
* तेल मालिश: इस दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल मालिश करके स्नान करना शुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
* दीयों की रोशनी: घर के सभी कोनों और खिड़कियों को दीयों या मोमबत्तियों से प्रकाशित करें। यह सुनिश्चित करें कि कोई भी कोना अंधेरे में न रहे।
* घर से गंदगी हटाना: घर की बची हुई छोटी-मोटी गंदगी और कबाड़ को आज ही बाहर फेंक दें।
* ईशान कोण: घर का ईशान कोण (North-East) पूरी तरह स्वच्छ और हवादार होना चाहिए।
* रंगोली: घर के प्रवेश द्वार पर छोटी सी रंगोली बनाएं। यह माँ लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक है।
3. दीपावली (लक्ष्मी पूजा): यह महापर्व का मुख्य दिन है, जो माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का दिन है। दिवाली के दिन शाम को सोने से बचें। यह वह समय है जब देवी लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं।
* पूजा की दिशा: लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थापित करें और पूजा करते समय अपना मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखें।
* अखंड दीया: पूजा स्थान पर घी का अखंड दीप पूरी रात जलता रहना चाहिए। इसके अलावा एक दीया आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में भी ज़रूर जलाएं।
* कलश स्थापना: पूजा में जल से भरा कलश ईशान कोण में रखें।
* तिजोरी का स्थान: अगर संभव हो तो इस दिन अपनी तिजोरी या धन का स्थान उत्तर दिशा में रखें या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करें।
4. गोवर्धन पूजा/अन्नकूट: यह प्रकृति और गोवर्धन पर्वत के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है।
* गोवर्धन पूजा: जिसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं, दीपावली के अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है। मान्यतानुसार इस दिन घर में पूजा-पाठ करने से जीवन में शुभता का आगमन होता है।
* गोबर का उपयोग: इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
* गोबर लीपना: गाय के गोबर को वास्तु में बहुत शुभ माना जाता है। अत: इस दिन घर में यदि कच्ची जगह यानी मिट्टी वाला स्थान, जो प्राकृतिक अवस्था हो तो उसे गोबर से लिपें।
* भोजन की दिशा: घर के रसोईघर की सफाई करें और अन्नकूट (कई प्रकार के भोजन) बनाकर भगवान को भोग लगाएं। भोजन बनाते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रखना शुभ होता है।
* पेड़-पौधे: घर में लगे तुलसी के पौधे या अन्य शुभ पौधों को पानी दें और उनकी देखभाल करें।
5. भाई दूज (यम द्वितीया): यह भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित दिन है।
* मुख की दिशा: इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
* मिठाई का रंग: भाई को खिलाई जाने वाली मिठाई में पीले रंग का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है, क्योंकि पीला रंग बृहस्पति (गुरु) का रंग है जो सौभाग्य और ज्ञान लाता है।
* संबंधों को मजबूत करने का दिन: इस दिन घर के परिवारिक चित्र उत्तर दिशा में लगाने से आपसी संबंध मजबूत होते हैं।
* शुभता और समृद्धि: भाई को उपहार देते समय पीले या लाल रंग का कपड़ा साथ दें, ये शुभता और समृद्धि बढ़ाता है।
* स्वच्छता: पांच दिवसीय पर्व के बाद भी घर को स्वच्छ और सकारात्मक बनाए रखें।
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