- राजश्री कासलीवाल
वर्धमान महावीर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर थे, जिन्होंने जैन धर्म की स्थापना की थी। उन्होंने अपनी सारी इच्छाओं को जीत लिया था। इसलिए उन्हें महावीर भी कहा जाता है। हम सभी आज भगवान महावीर के सिद्धातों को भूलते जा रहे हैं।
दुनिया की चकाचौंध एवं आपाधापी के इस युग में मानसिक संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता हर व्यक्ति द्वारा महसूस की जा रही है। वर्तमान स्थिति को देखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि कुछेक व्यक्तियों का थोड़ा-सा मानसिक असंतुलन ही बहुत बड़े अनिष्ट का कारण बन सकता है।
महावीर का जीवन एक खुली किताब की तरह है। उनका जीवन चारों ओर से हमें सत्य, अहिंसा और मानवता का संदेश है। जगत को अहिंसा संदेश देने वाले भगवान महावीर का मोक्ष कल्याणक कार्तिक अमावस्या (दीपावली) के दिन मनाया जाता है।