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दीपावली लाए खुशियाँ ही खुशियाँ

जब हो परिवार का साथ

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गायत्री शर्मा

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त्योहार का नाम उत्साह व उमंग के साथ मेल-मिलाप का भी होता है। जब पूरा परिवार एक साथ हो, तभी त्योहार का असली मजा आता है। दीपावली का त्योहार भी ऐसा ही है, जब एक साथ मिल-बैठकर बातें करने का बहाना मिल जाता है।

आम दिनों में तो आदमी अकेलेपन का आदी हो जाता है किंतु जब त्योहार आते हैं तब अकेलापन उसे खलने लगता है और इसी अकेलेपन को दूर करने के लिए वह सब कुछ भूलकर अपने परिवार के पास चला जाता है।

एकल परिवार प्रणाली ने लोगों में भले ही दूरियाँ बना दी हैं, पर ये दूरियाँ तब मिट जाती हैं जब दीपावली पर परिवार के सभी सदस्य एक ही छत के नीचे एकत्रित होते हैं। तब इस त्योहार का मजा और भी बढ़ जाता है।

दादा-दादी की आँखें कब से अपने पोते-पोती को निहारने के लिए बैचेन हैं। दीपावली का यह त्योहार लक्ष्मी के आगमन के साथ ही हर चेहरे पर मुस्कुराहट लाता है। सभी का इंतजार खत्म होता है और मिल-जुलकर पूरा परिवार इस त्योहार के रंग में रंग जाता है।

हर घर दीये की रोशनी से रोशन होता है और सभी की ‍जिंदगी में उजियारा छा जाता है। अमीर हो या गरीब- हर कोई इस त्योहार का पूरा-पूरा आनंद उठाता है।

सुख-समृद्धि की कामना के साथ लक्ष्मी पूजा की जाती है। इसमें घर की लक्ष्मी (महिलाएँ) पूजा में भाग लेती है। उसके बाद मेल-मिलाप का दौर शुरू होता है।

संस्कारों का निर्वहन करते हुए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर रिश्तों की डोर को मजबूती प्रदान की जाती है। संस्कारों के निर्वहन का यह त्योहार रिश्तों को सुदृढ़ व प्रगाढ़ बनाता है। आशा है यह दीपावली आपके परिवार में भी खुशियों की उमंगें लेकर आए।

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