एक दीप
अँधेरे पथ पर डगमगाते राही को
उजाले की किरण दे सकें
व्यथित मन के बिखरे स्वप्न को
समेट लेने की ताकत दे सकें
लक्ष्मण की रेखा से
कोई रावण न अब सीता को छीन सके
मन के रावण का दहन कर
जीवन की अयोध्या को प्रज्वलित कर सकें
हर युग में
मर्यादित राम लालसा के रावण को जीत सके
हर युग की सीता
बेहिचक अग्नि-परीक्षा से गुजर सके
कौशल्या की कोख से जन्मा हर राम
कैकेयी का दिल भी जीत सके
हर युग में लक्ष्मण
राम का वनवास जी सके
ऐसा एक दीप हर घर में जलाएँगे
इस कलयुग में
हम एक बार फिर रामायण बनाएँगे।
एक दीया
एक दीया ज्ञान का
एक दीया विश्वास का
एक दीया प्रेम का
और एक अंतर की प्यास का
एक मित्र के साथ का
एक शत्रु के नाश का
एक दीया हो आँगन में
हृदय में बची अंतिम आस का
एक प्रकाश की जीत का
एक अंधकार की हार का
एक दीया नफरत भरे दिलों में
बचे हुए प्यार का
एक टूटे रिश्तों को जोड़ने के लिए
एक तूफान को मोड़ने के लिए
एक प्रगति की राह में
अड़चन को पीछे छोड़ने के लिए
एक दीया भटके को राह दिखाएगा
तो एक राह में भटकने से बचाएगा
सारे दिए बुझ भी जाएँ
उम्मीद का दीया कभी न बुझ पाएगा
एक-एक करके कई दीप जलाएँगे
हर आँगन को खुशियों से महकाएँगे
आओ एक और दीया हाथ में उठाएँ
और शांति का प्रतीक बन जाएँ।