पीलिया रोग यानी जॉइंडिस में व्यक्ति के शरीर में खून की कमी होने लगती है, भूख मर जाती है और आँखें, नाखून, चेहरा, हथेलियाँ तथा धीरे-धीरे पूरा शरीर पीला होने लगता है।
पीलिया ग्रस्त व्यक्ति को पेशाब भी पीला आता है, खाने में रुचि कम हो जाती है, शरीर में पानी व खून की अत्यंत कमी हो जाती है। यदि इस बीमारी का समय पर ठीक इलाज न किया जाए तो व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।
कुछ लोग इसे हलके-फुलके तौर पर लेते हैं और सावधानी नहीं रखते। पीलिया होने पर तुरंत डॉक्टरी चिकित्सा करानी चाहिए। डॉक्टर इंजेक्शन तथा सलाइन चढ़ाकर और एंटीबायोटिक दवाएँ देकर रोग पर काबू पाने की कोशिश करते हैं। बहुत कम केस ऐसे होते हैं कि रोगी को अतिरिक्त खून चढ़ाने की जरूर पड़ती हो।
पीलिया के कारण
दूषित पानी पीने से, कुपोषण से, भोजन में पौष्टिक पदार्थों की कमी होने से। ज्यादा से ज्यादा फास्ट फूड का इस्तेमाल भी हानिकारक होता है, कारण फास्ट फूड में पौष्टिक तत्वों की कमी रहती है। इसके अलावा वायरल इंफेक्शन भी इसके प्रसारण में सहायक होता है। इसके अलावा अन्य किसी कारण से शरीर में खून की कमी होने पर भी पीलिया हो सकता है।
पीलिया के लक्षण होने पर या पीलिया होने पर तुरंत डॉक्टर से ट्रीटमेंट लें। जरूरत होने पर डॉक्टर आपको सलाइन चढ़ाएगा, ताकत के इंजेक्शन देगा और संबंधित बीमारी की एंटीबायोटिक दवाएँ देगा।
चिकित्सा
आयुर्वेद में भी इसका सफल इलाज है। पीलिया को प्राथमिक स्टेज में ही सम्हाल लिया जाए तो रोग बढ़ता नही, रोगी जल्द ठीक हो जाता है।
घरेलू चिकित्सा खाने का एक बंगला पान (खाने में चरपरा, तीखा लगता है) लेकर इस पान में चूना और कत्था लगाइए। अब इस पान में आक (आँकड़ा, अकौना, मदार जामुनी फूल वाला) का दूध 3-4 बूंद डालकर प्रातः खा लें। इससे पीलिया शर्तिया ठीक हो सकता है। पीलिया ज्यादा हो तो यह प्रयोग पाँच दिन करना चाहिए।(1)
सूर्योदय से पूर्व आक का पत्ता तोड़कर दूध निकाल लेना चाहिए। (2) आक का दूध चिकना होता है और आँखों के लिए अत्यंत हानिकारक है, इसके दूध के हाथ आँख में न लगने पाएँ।* आक (आँकड़ा) के पौधे की सबसे ऊपर की छोटी जुड़वाँ दो पत्ती वाली कोंपल लें व साफ कर लें। फिर बारीक कतरकर या मसलकर पेड़े या मीठा मावा (दूध का खोया) में भर लें और रोगी को खाली पेट खिला दें। एक बार देने पर ही दो-तीन दिन में पीलिया रोग सदा के लिए ठीक हो जाता है। आवश्यकता तो नहीं पड़ती फिर भी यदि कुछ कसर रह जाए तो तीसरे दिन या पंद्रहवें दिन इसी तरह की एक खुराक और दी जा सकती है।* बन्दाल के डोडे (जो पंसारी के यहाँ मिलते हैं) 4 या 5 नग लेकर रात को मिट्टी के सिकोरे या बर्तन में पौन कप पानी में डालकर भिगो दें। सुबह मसलकर उस पानी को छान लें। रोगी को सीधा लिटाकर, गर्दन थोड़ी झुकी रखकर, दो-तीन बूंद रूई से नाक के प्रत्येक नथुने में टपका दें। केवल एक दिन एक बार डालने से नाक-आँख से पीला पानी बहकर, भयंकर पीलिया दो ही दिन में ठीक हो जाता है।* पीलिया रोग में पित्त को विरेचन द्वारा बाहर निकालने के लिए पुनर्नवा की जड़ का महीन पिसा-छना चूर्ण आधा-आधा चम्मच, पुनर्नवा के काढ़े और आधा कप पानी के साथ पीने से 2-4 दिन में ही रोग दूर हो जाता है। इस रोग के लिए इस नुस्खे का प्रयोग निर्भय होकर निरापद रूप से किया जा सकता है।* चने के बराबर फिटकरी आग पर सेक कर फुला लें फिर बारीक पीसकर एक पके हुए केले को बीच में चीर कर फिटकरी चूर्ण बुरक दें, केला बंद कर दें। प्रातः खाली पेट खा लें, यह प्रयोग सात दिन तक करें।* शहद दो-दो चम्मच दिन में 4-5 बार लें। गन्ना, मौसंबी, संतरा, सेवफल का रस सेवन करें। नीबू का रस, ताजी छाछ पिएँ, इस हेतु ताजे दही में पानी मिलाकर छाछ बनाएँ व पिएँ।* एक मुट्ठी गेहूँ (25 ग्राम), एक चम्मच सौंफ, 10 ग्राम खसखस शाम को पानी में गला दें। सुबह इसे बारीक पीसकर कपड़े से छानकर व मिश्री मिलाकर एक गिलास शरबत बना लें। यह शरबत एक माह तक पिलाने से आने वाले कई सालों तक पीलिया नहीं होता है।* एक तोला त्रिफला चूर्ण रात को पानी में डालकर सुबह छानकर पी लें।* चार रत्ती फिटकरी सेक कर फुला लें, उसमें मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार लेने से आराम होता है। * कड़वा कुटकी 50 ग्राम और काली मिर्च 10 ग्राम, दोनों को मोटा-मोटा पीसकर दरदरा पावडर कर लें। एक गिलास पानी के साथ एक चम्मच (5 ग्राम) पावडर मिट्टी के कुल्हड़ में डालकर काढ़ा करें। जब पानी चौथाई भाग बचे, तब उतारकर छान लें। यह काढ़ा एक बार सुबह भोजन से घण्टाभर पहले और शाम को भोजन के घण्टेभर बाद तैयार कर पिएँ, यह काढ़ा बहुत कड़वा होता है। 8-10 दिन प्रयोग करने पर पीलिया रोग दूर हो जाता है। * पके केले को 1 बड़े चम्मच शहद के साथ मेश करके दिन में दो बार कुछ दिन खाएँ। आधा चम्मच अदरक का रस, एक छोटा चम्मच नींबू का ताजा रस तथा एक छोटा चम्मच पुदीने का रस मिला लें व एक बड़े चम्मच शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन-चार बार चाट लें।
* पपीते के नरम पत्तों को बारीक पीसकर पेस्ट बनाएँ आधा चम्मच पेस्ट को कुछ पानी के साथ ले लें। या एक कप गरम पानी में मुट्ठीभर नींबू के पत्ते डालकर पड़े रहने दें, थोड़ी देर बाद इस पानी को पी जाएँ। चाहें तो नींबू का रस दिन में कई बार लें।
भोजन में सावधानी :
पीलिया की उपरोक्त दवा देने के बाद कम से कम तीन महीने तक उबालकर ठंडा किया हुआ पानी रोगी को दें। घी, तेल, चिकनाई, खाने को न दें, हल्का आहार दें। खटाई कम से कम आठ दिन तक न दें। मसाले वाली चीजें खाने को मना कर दें। छिलके वाली मूँग की दाल, हरी सब्जी व ताजी चपाती खूब चबा-चबाकर खाएँ और 10-15 दिन परिश्रम न कर अधिक से अधिक विश्राम करें।