Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बचें हड्डी तोड़ बुखार से

हमें फॉलो करें बचें हड्डी तोड़ बुखार से
WDWD
वायरल को फ्लू, इंफ्लूएंजा, साधारण सर्दी के बुखार या हड्डी तोड़ बुखार के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी तथा बड़ी तेजी से पहुँचती है। इसके विषाणु एक से दूसरे में साँस द्वारा पहुँचते हैं। छूत लगने के बाद फ्लू एक-दो दिन तथा कभी-कभी कुछ घंटों में सक्रिय हो जाता है।

वायरल बुखार के लक्षण अन्य बुखार के समान होते हैं जैसे तेज बुखार, सिर और बदन में दर्द, तेज सूखी खाँसी, जुकाम, गले में खराश, छींक आना, नाक व आँख से पानी आना आदि। इस बुखार में शरीर का ताप 101 डिग्री से 103 डिग्री या और ज्यादा भी हो जाता है। यदि समय पर उचित इलाज किया जाए तो यह बुखार सप्ताह भर में ठीक हो जाता है।

दरअसल इसके वायरस हमारे गले में सुप्तावस्था में निष्क्रिय पड़े रहते हैं। ठंडे वातावरण के संपर्क में आने, फ्रिज का ठंडा पानी, शीतल पेय पदार्थ पीने आदि से ये वायरस सक्रिय होकर हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर देते हैं।

लक्ष
अचानक बुखार आना, सिर दर्द, बदन दर्द, गले में खराश, नाक में खुजली होना, पानी आना आदि वायरल के सामान्य लक्षण हैं। यह जरूरी नहीं है कि सभी में वायरल के एक जैसे लक्षण ही दिखाई दें। कुछ मामलों में रोगी में सर्दी-खाँसी या बलगम जैसे कोई लक्षण नहीं होते बस उन्हें अजीब तरह की बेचैनी महसूस होती है, हरारत महसूस होती है तथा उनकी भूख खत्म हो जाती है। यों तो इन संक्रमणों का असर ज्यादा दिनों तक नहीं रहता परंतु यदि संक्रमण बहुत गंभीर किस्म का हो तो वह फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकता है।

webdunia
WDWD
शिशुओं के लिए वायरल और अधिक कष्टदायी होता है। इससे वे पीले तथा सुस्त पड़ जाते हैं। उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई होती है। उन्हें उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। इसके अलावा शिशुओं में न्यूमोनिया, कंठशोथ और कर्णशोथ जैसी जटिलताएँ भी पैदा हो जाती हैं। अन्य रोगों के साथ मिलकर वायरल रोगी की दशा को भी खराब कर देता है। उदाहरण के लिए यदि खाँसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। इसी प्रकार पेचिश और क्षय रोग के मरीजों को इससे विशेष रूप से बचाना चाहिए।

फायदेमं
रोगी को हल्का तथा सुपाच्य भोजन दिया जाना चाहिए। उसे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ, ताजे फल तथा सब्जियाँ दी जानी चाहिए। यदि रोगी के गले में सूजन भी हो तो अचार-चटनी, नींबू, मिर्च, तली-भुनी चीजें, आइसक्रीम, ठंडा पानी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

  संक्रमण की स्थिति में प्रति जैविक केवल इसलिए दिया जाता है ताकि आगे चलकर कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन न हो जाए। अतः जब तक कोई गंभीर समस्या जैसे लगातार बढ़ता बुखार या खाँसी उत्पन्न न हो तब तक प्रतिजैविकों का प्रयोग जरूरी नहीं होता।      
धूम्रपान, मद्यपान और नोजल ड्राप्स के प्रयोग से भी रोगी को बचना चाहिए। गरम चाय, सूप, तुलसी और अदरक की चाय से वायरल में लाभ होता है। गरम पानी में शहद मिलाकर भी पीया जा सकता है। इससे गले की खराश में आराम मिलता है। भाँप लेने और गरम पानी में
नमक मिलाकर गरारा करना भी रोगी के लिए फायदेमंद होता है।

बचा
वायरल से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि यदि वायरल इंफेक्शन का मौसम चल रहा हो तो सार्वजनिक स्थानों पर मुँह व नाक पर कपड़ा रखकर जाएँ, साथ ही ऐसे वातावरण के संपर्क में आने से बचें जहाँ अचानक तेजी से तापमान बदलता हो, एकाएक ठंडा या गर्मी के संपर्क में आने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

संक्रमण की स्थिति
वायरल संक्रमण होने पर डॉक्टर सिर्फ दर्द से आराम के लिए दवा देते हैं। संक्रमण की स्थिति में प्रति जैविक केवल इसलिए दिया जाता है ताकि आगे चलकर कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन न हो जाए। अतः जब तक कोई गंभीर समस्या जैसे लगातार बढ़ता बुखार या खाँसी उत्पन्न न हो तब तक प्रतिजैविकों का प्रयोग जरूरी नहीं होता। सिरदर्द व बदन दर्द के कारण होने वाले बुखार व बेचैनी से छुटकारा पाने के लिए सुरक्षित किस्म की एंटी पायरेटिक एनाल जेसिक ड्रग जैसे पैरासिटामोल का सेवन करना चाहिए।

रोग के आरंभिक चरण में रोगी अवसाद का अनुभव करता है और बहुत सोता है। ऐसे में उसे बेरोकटोक सोने देना चाहिए। रोगी का कमरा खुला एवं हवादार होना चाहिए। वहाँ पर्याप्त रोशनी भी आनी चाहिए। रोगी की त्वचा की उचित देख-रेख जरूरी होती है, खासतौर पर यदि रोगी बच्चा हो तो। रोगी के हाथ-पैर धो दिए जाने चाहिए और पूरे शरीर को स्पंज किया जाना चाहिए। साथ ही आँख, नाक और मुँह की श्लेष्म झिल्लियों को भी साफ-सुथरा रखना चाहिए। रोगी के वस्त्र हल्के तथा सूती होने चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi