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टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट : कैसे करें तैयारी

अशोक सिंह

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अब टीचर बनने के लिए महज ग्रेजुएट होना अथवा बीएड डिग्रीधारक होना ही काफी नहीं है। स्कूलों के टीचर्स के अध्यापन के मानक को बेहतर बनाने के लिए नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) द्वारा प्रति वर्ष टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) की शुरुआत की गई है। अब इस टेस्ट में कम से कम 60 प्रतिशत अंक लाने वाले लोगों को ही सरकारी अथवा प्राइवेट स्कूलों में टीचर्स की जॉब मिल सकती है।

राइट टू एजुकेशन के लागू होने के बाद समूचे देश में बड़ी संख्या में योग्य टीचर्स की नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस क्रम में प्रत्येक प्रदेश में भी अलग से स्टेट टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट का प्रावधान किया जा चुका है। इस टेस्ट में हिस्सा लेने के लिए विभिन्न कक्षाओं में अध्यापन करने के आधार पर न्यूनतम शैक्षिक योग्यता की शर्तें रखी गई हैं। कक्षा प्रथम से पांचवीं कक्षा तक अध्यापन करने के लिए 10+2 के साथ दो वर्षीय टीचर्स ट्रेनिंग का डिप्लोमा होना आवश्यक है, कक्षा छठी से ऊपर तक की कक्षाओं के लिए ग्रेजुएट/पोस्ट ग्रेजुएट होने के साथ दो वर्ष का टीचर्स डिप्लोमा अथवा बीएड होना जरूरी है।

हालांकि टीचर्स ट्रेनिंग की डिग्री सात साल से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए। इस परीक्षा में दो पेपर्स का प्रावधान रखा गया है- प्राथमिक कक्षाओं (पहली से पांचवीं) में अध्यापन के इच्छुक युवाओं को सिर्फ प्रथम पेपर में ही शामिल होने की आवश्यकता होती है जबकि इससे ऊपर की कक्षाओं के लिए दूसरे पेपर में ही शामिल होने की जरूरत है। और जो पहली से आठवीं तक के अध्यापक के पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं उन्हें दोनों पेपर्स में शामिल होने की जरूरत पड़ेगी।

इसके अलावा यह भी आवश्यक है कि टीईटी परीक्षा में कम से कम 60 प्रतिशत अंक होने चाहिए तभी उन्हें टीचर्स पदों के लिए नियुक्ति के योग्य समझा जाएगा। इन दोनों ही पेपर में पांच विषयों पर आधारित मल्टिपल च्वॉयस क्वेश्चंस होते हैं। इन विषयों में चाइल्ड डेवलपमेंट, लैंग्वेज 1, लैंग्वेज 2, मैथ्स और एनवायर्नमेंटल स्टडीज लेकिन दोनों के स्तर में काफी फर्क होता है। पांचों विषयों में एक-एक अंक के 30-30 प्रश्नों का प्रावधान होता है।

- चाइल्ड डेवलपमेंट पर आधारित प्रश्नों में मुख्यतः 6 से 11 वर्ष तक के छात्रों के शिक्षा संबंधित मनोविज्ञान पर आधारित प्रश्न होते हैं।

- लैंग्वेज 1 में प्रत्याशियों के उस भाषा के ज्ञान की जांच की जाती है जिसमें वे अध्यापन करने के इच्छुक हैं।

- लैंग्वेज 2 में एक अन्य भाषा का प्रत्याशों को चयन करना पड़ता है। इन प्रश्नों में भी ग्रामर, वाक्य विन्यास आदि पर जानकारी देखी जाती है।

- मैथ्स और एनवायर्नमेंटल साइंस के पेपर्स में भी प्रत्याशियों के इन विषयों पर आधारित ज्ञान को जांचने का प्रयास होता है। जहां पेपर 1 में पांचवीं तक के उपरोक्त विषयों के टॉपिक्स शामिल किए जाते हैं वहीं पेपर 2 में आठवीं तक के इन पाठ्यपुस्तकों के स्तर के प्रश्नों को शामिल किया जाता है।

ऐसे करें तैयारी
- बच्चों के मनोविज्ञान की समझ होनी अत्यंत जरूरी है।

- जिस भाषा में पढ़ाना है उसका चयन उक्त भाषा पर आपका कितना अधिकार है इस बात को ध्यान में रखते हुए करें।

- संबंधित कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों का भरसक अध्ययन कर लें।

- टीचर्स ट्रेनिंग के अपने सिलेबस और नोट्स को समय रहते एक बार अवश्य उलट लें।

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