सीबीएसई के निर्देशों की जानकारी जरूरी सीबीएसई समेत विभिन्न परीक्षा बोर्ड समय-समय पर परीक्षा पैटर्न में बदलाव करते रहते हैं और इनसे संबंधित दिशा-निर्देश उनकी वेबसाइट या स्कूलों के माध्यम से छात्रों तक पहुँचाए जाते हैं। बेहतर यही होगा कि आपको इस संबंध में ताजी जानकारी हो। इन बदलावों में विभिन्न विषयों के लिए निर्धारित अंकों के मान में परिवर्तन, सिलेबस में कांट छांट आदि का खासतौर पर जिक्र किया जा सकता है।
ज्यादा पढ़ाई भी नुकसानदायक हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार ही पढ़ाई करनी चाहिए। एकाएक अवास्तविक तरीके से 16 या 18 घंटों की पढ़ाई का शेड्यूल बनाना कोई समझदारी नहीं है। 50 मिनट से एक घंटे की एक बार में लगातार समबाह है। इससे ज़्यादा जबरदस्ती पढ़ाई करने से कुछ पल्ले नहीं पड़ता। इसीलिए मानसिक थकान से बचते हुए छोटे ब्रेक लेना आवश्यक होता है।
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साप्ताहिक शेड्यूल बनाना व्यावहारिक संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई का साप्ताहिक टाइम टेबल सबसे पहले बना लें। सोने के 8 घंटे के समय को अलग रखते हुए कम से कम 10 से 12 घंटे का पढ़ने का समय (बीच में छोटे-छोटे ब्रेक के साथ) निर्धारित कर लें। समूचे सिलेबस को बोर्ड से पहले बचे समय के मुताबिक, बांट कर यह शेड्यूल तैयार करें। हर सप्ताह का लक्ष्य इस तरह से फिक्स करते जाएं। पूरी कोशिश करें कि यह लक्ष्य हर हालत में अवश्य पूर्ण हो। इसमें सप्ताह के दौरान की पढ़ाई को दुहराने के समय का प्रावधान जरूर होना चाहिए।
महत्वपूर्ण तथ्यों को पहले देखें किसी भी चैप्टर की पढ़ाई करने का यह तरीका सही नहीं कहा जा सकता कि समूचे चैप्टर को शुरू से अंत तक आप पढ़ जाएं और बीच-बीच में याद करने की कोशिश भी करें। इसका ज्यादा प्रभावी तरीका यह होगा कि आप शुरुआत से पहले चंद मिनट सरसरी निगाह से उक्त चैप्टर का परिचय, विभिन्न उपशीर्षक और प्रत्येक पेराग्राफ की शुरुआती पंक्तियाँ और अंत में दिया गया सार पढ़ लें। इससे आप उक्त विषय से स्वयं को पहले से परिचित कर सकेंगे। फिर जब आप शुरू से पढेंगे तो ज्यादा परेशानी का अनुभव नहीं करेंगे।
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नोट्स कैसे लिखें हमेशा नोट्स अपनी भाषा में लिखें। किसी भी टॉपिक के संबंध में संपूर्ण जानकारी दें। प्रयास करें कि भाषा और लेखन शैली की दृष्टि से परीक्षा की कॉपी में लिखने के सामान हो ताकि पुनरावृति के समय आपको इसके अलावा कुछ और देखने की जरूरत नहीं पड़े। रफ नोट्स बनाने से कोई फायदा नहीं।
पढ़ाई के लिए विषय का चुनाव करने से पहले हमेशा ऐसे विषय से शुरुआत करें जो आपको सबसे कठिन लगता हो। चूँकि फ्रेश माइंड से पढ़ाई की शुरुआत होगी इसलिए मुश्किल टॉपिक समझने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।