मैथ्स का हिट फॉर्मूला...
- अशोक सिंह
गणित के नाम से अक्सर छात्रों में डर की स्थिति देखने को मिलती है। इस प्रकार के हौव्वे के शिकार ऐसा नहीं कि भारतीय छात्र ही हैं बल्कि देश विदेश में कमोबेश यही मनोदशा देखी जा सकती है। यही कारण है कि दसवीं के बाद बड़ी संख्या में युवा गणित के बदले अन्य वैकल्पिक विषयों का चुनाव कर आगे पढ़ाई करना पसंद करते हैं। बोर्ड के एग्जाम में एनसीईआरटी की टेक्स्ट बुक्स से बाहर कुछ नहीं आता है। इसलिए गणित में भी प्रत्येक सॉल्व और अनसोल्व प्रश्नों को अपने आप करने का अभ्यास अवश्य करें। पुनरावृति करते रहने से गलतियाँ कम होने के साथ दिए गए समय में संपूर्ण प्रश्नपत्र आत्मविश्वास के साथ हल किए जाने की संभावनाएँ बढ़ती चली जाएँगी। अन्य विषयों की भाँति गणित के विभिन्न अध्यायों के प्रश्नों के मान पहले से सी बीएसई द्वारा तय कर दिए जाते हैं। प्रत्येक खंड के मान के अनुसार समय का निर्धारण करें। अमूमन ऐसा फैसला लेने वाले वे ही छात्र ज्यादातर होते हैं जोकि गणित के बुनियादी ज्ञान से बहुत दूर होते हैं या दूसरे शब्दों में जिनका मैथ्स का फंडा बिलकुल गोल होता है। अगर गौर से देखा जाए तो यह बिलकुल स्पष्ट सा प्रतीत होता है कि गणित ही इकलौता ऐसा विषय है जिसमें शत-प्रतिशत अंक लाने से कुल प्राप्तांकों में छलांग संभव हो सकती है। तो इस बार बात करते हैं गणित के कुछ साधारण परंतु सरल टिप्स की जिनकी बदौलत अंकों में काफी इजाफा संभव हो सकता है।ह गणित विषय की पढ़ाई कभी भी पुस्तक पढ़ने के रूप में करने की भूल नहीं करनी चाहिए। नोटबुक में प्रश्नों के साथ उनका हल सही और निर्धारित स्टेप्स के अनुसार पूरी तरह से लिखकर ही करना चाहिए।
1.
रोजाना कुछ समय गणित का अभ्यास करते रहने से भूलने का प्रश्न ही नहीं उठता है। इसका फायदा ज्यादा स्पीड और एक्यूरेसी के तौर पर भी मिलता है। यह स्पीड बाद में एग्जामिनेशन हॉल में काफी उपयोगी सिद्ध होती है और अधिकाधिक अंक बटोरने में सहायक होगी।2.
जैसा कि हम पहले भी बताते आए हैं कि बोर्ड के एग्जाम में एनसीईआरटी की टेक्स्ट बुक्स से बाहर कुछ नहीं आता है। इसलिए गणित में भी प्रत्येक सॉल्व और अनसोल्व प्रश्नों को अपने आप करने का अभ्यास अवश्य करें। पुनरावृति करते रहने से गलतियाँ कम होने के साथ दिए गए समय में संपूर्ण प्रश्नपत्र आत्मविश्वास के साथ हल किए जाने की संभावनाएं बढ़ती चली जाएँगी।3.
अन्य विषयों की भांति गणित के विभिन्न अध्यायों के प्रश्नों के मान पहले से सी बीएसई द्वारा तय कर दिए जाते हैं। तैयारी करते समय प्रत्येक खंड के मान के अनुसार समय का निर्धारण करें। जाहिर है कि अधिक मान वाले खंडों पर पहले पकड़ बनाने का प्रयास करें।4.
अब अंतिम समय में ऐसे अध्यायों से दूर रहना ही बेहतर होगा जो आपकी समझ से एकदम बाहर हैं। हालांकि संबंधित अध्यापक से मदद लेकर अंतिम प्रयास करने में कोई बुराई नहीं है।
5.
एनसीईआरटी की टेक्स्ट बुक्स को खत्म करने के बाद ही सैम्पल पेपर्स की शुरुआत करनी चाहिए। ईमानदारी से दो-तीन घंटे के समय में कई सैंपल पेपर्स करना ज्यादा अंक पाने की अच्छी स्ट्रेटेजी साबित हो सकती है।6.
अभ्यास एवं परीक्षा हॉल में भी गणित का रफ वर्क साथ साथ उसी पृष्ठ पर हाशिया डालकर करना चाहिए। यह जान लीजिए कि परीक्षक की नजर इस रफ वर्क पर अवश्य जाती है।7.
गणित में महज सही उत्तर लिखने भर से पूरे अंक नहीं मिल जाते हैं। प्रश्न के हल में समस्त निर्धारित स्टेप्स का होना जरुरी है। इसमें आलस्य करने की कीमत आपको अंकों की कटौती के रूप में झेलनी पड़ सकती है।8.
प्रश्न लिखने, प्रत्येक स्टेप्स निर्धारित करने से लेकर अंतिम उत्तर लिखने तक प्लस(+), माइनस(-), दशमलव(.) और यूनिट्स के बारे में अतिरिक्त सतर्कता बरतें। जरा सी चूक संपूर्ण प्रश्न के अंकों को शून्य में बदलने के लिए पर्याप्त हो सकती है।9.
कांट-छांट या ओवरराइट करने से पूरी तरह से बचें। इस क्रम में आप स्वयं भी अंकों के बारे में भ्रमित हो सकते हैं और अनजाने में गलतियां कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर पूरी पंक्ति या स्टेप को काटकर अगली पंक्ति में साफ-साफ लिखना ज्यादा ठीक होगा।10.
गणित में फॉर्मलो का बड़ा महत्व होता है। इसलिए उतर लिखने के क्रम में अगर कोई फॉर्मूला इस्तेमाल कर रहे हैं तो पहले एक बार इसे जरूर लिखें। बिना जिक्र किए सीधे फॉर्मूला इस्तेमाल करना परीक्षक के लिए उलझन पैदा कर सकता है।
11.
परीक्षा हाल में प्रश्नपत्र पढ़ते समय इस बात से बिलकुल नहीं घबराएं कि आपको कई प्रश्न कठिन दिख रहे हैं। पहले इत्मीनान से आसान प्रश्नों को करें। इसके बाद तसल्ली से कठिन प्रश्नों को हल करने की शुरुआत करें। इस दौरान आत्म विश्वास को बनाए रखें।12.
कठिन प्रश्नों का फोबिया परीक्षा हाल में लगातार अपने ऊपर हावी रखने का मतलब है कि अन्य प्रश्नों पर भी इसका बुरा असर पड़ना। हर हाल में डिप्रेशन की इस स्थिति से स्वयं को बचाए रखना होगा।13.
ज्यामिति में प्रश्नों को पढ़ने के बाद दिए गए रेखाचित्र को भली भांती समझें व फिर लिखने की शुरुआत करें।14.
रटने की कला इस विषय में बिलकुल इस्तेमाल न करें। प्रश्नों को भलीभांति समझने के बाद ही उत्तर के बारे में सोचने की शुरुआत करें। बस इतना छोटा-सा फोर्मूला है जिसे अपनाकर आप इस विषय में बेहतरीन अंक जुटा सकते हैं।