आंध्र प्रदेश का एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर जहां हवा में तैरता है स्तंभ
जानिए आस्था और वास्तुकला के संगम लेपाक्षी मंदिर का गौरवशाली इतिहास
Lepakshi Temple, Andhra Pradesh: आंध्र प्रदेश का लेपाक्षी मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। इस मंदिर का निर्माण 16वीं सदी में किया गया था। इस मंदिर का हवा में तैरता हुआ स्तंभ (Floating Pillar of Lepakshi Temple) एक रहस्य बना हुआ है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसे देखने देश-विदेश से लोग आते हैं। यदि आप भी भारत में एक अनोखा और खूबसूरत मंदिर देखना चाहते हैं तो आज इस आलेख में हम आपको प्रसिद्द लेपाक्षी मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
लेपाक्षी मंदिर का इतिहास और नाम की कहानी
लेपाक्षी मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के शासक कृष्णदेव राय के शासनकाल के दौरान हुआ था। यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप, वीरभद्र को समर्पित है। ऐसा भी माना जाता है कि रामायण काल में इसी जगह पक्षीराज जटायू माता सीता को बचाते हुए गिरे थे। उन्हें उठने के लिए भगवान राम ने 'ले पक्षी' कहा था, जिसके कारण इस मंदिर का नाम लेपाक्षी पड़ा।
मंदिर का नाम "लेपाक्षी" पड़ने के पीछे एक स्थानीय कहावत भी है, जिसमें कहा जाता है कि एक राक्षस एक गाय की पूंछ से खींचकर उसे यहां तक लाया था। इसी कारण उस मंदिर का नाम लेपाक्षी पड़ा।
क्या है लेपाक्षी मंदिर में उड़ते हुए स्तंभ का रहस्य
लेपाक्षी मंदिर का सबसे आकर्षक इसका उड़ता हुए स्तंभ हैं। एक विशाल पत्थर से बना ये स्तंभ बिना किसी सहारे के हवा में लटका हुआ प्रतीत होता है। पर्यटक तरह-तरह के पैंतरे आजमाकर इस बात की पुष्टि करने का प्रयास करते हालांकि, इस रहस्य की आजतक कोई ठोस वजह नहीं मिल पाई है। कुछ लोग मानते हैं कि यह एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, जबकि अन्य इसे एक अध्यात्मिक घटना मानते हैं।
लेपाक्षी मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
लेपाक्षी मंदिर, जिसे लेपाक्षी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप, वीरभद्र स्वामी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
लेपाक्षी मंदिर का निर्माण 16वीं सदी में किया गया था, जब विजयनगर साम्राज्य अपने उत्कर्ष पर था। इसे स्थानीय राजा, वीरुपक्ष ने बनवाया था, और इसे मान्यता प्राप्त वास्तुकार जक्कन्ना ने डिज़ाइन किया था। मंदिर का नाम 'लेपाक्षी' संस्कृत शब्द 'लेपाक्षी' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'जिसका एक पंख टूटा हो', जो एक प्रसिद्ध लोककथा से जुड़ा है।
लेपाक्षी मंदिर की वास्तुकला
लेपाक्षी मंदिर की वास्तुकला विशेष रूप से अद्वितीय है। यहाँ की भव्यता और जटिल नक्काशी इसे एक विशिष्ट पहचान देती है।
गोपुरम: मंदिर का गोपुरम (मुख्य प्रवेश द्वार) ऊँचा और शानदार है, जो स्थानीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
नक्काशी: मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर की गई नक्काशी अत्यंत बारीकी से की गई है, जिसमें देवी-देवताओं और पौराणिक दृश्यों को दर्शाया गया है।
मंडप: यहाँ का एक प्रमुख मंडप 'नटराज मंडप' है, जिसमें भगवान शिव के नृत्य की नक्काशी है।
कैसे पहुंचें लेपाक्षी मंदिर?
लेपाक्षी मंदिर अनंतपुर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप अनंतपुर तक ट्रेन या बस से पहुंच सकते हैं। वहां से, आप लेपाक्षी मंदिर तक बस या टैक्सी द्वारा जा सकते हैं। मंदिर तक जाने का रास्ता अच्छी तरह से कनेक्टेड है और आसानी से पहुंचा जा सकता है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।