देश के हर कोने में नवरात्रि महोत्सव की धूम है और हर कोई देवी मां के भव्य स्वागत की तैयारी कर रहा है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण होता है। गुजरात से लेकर बंगाल तक हर राज्य में नवरात्रि के लिए अलग परंपरा और संस्कृति होती है। साथ ही हर राज्य में विभिन्न तरीके से नवरात्रि मनाई जाती है।
कई जगह भव्य पंडाल लगाए जाते हैं तो कई जगह माता को घर में स्थापित किया जाता है। अगर आप भी इस संस्कृति को करीब से देखना चाहते हैं तो आप भारत के इन 10 प्रसिद्ध दुर्गा माता मंदिर के बारे में जान सकते हैं। साथ ही आप इस नवरात्रि 2023 इन प्रसिद्ध मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। चलिए जानते हैं इन मंदिर के बारे में.....
1. ज्वालादेवी : भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में जहां माता की जीभ गिरी थी उसे ज्वाला जी स्थान कहते हैं। इस स्थान से आदि काल से ही पृथ्वी के भीतर से कई अग्निशिखाएं निकल रही हैं।
2. नैना देवी : कुमाऊं क्षेत्र के नैनीताल की सुरम्य घाटियों में पर्वत पर एक बड़ी सी झील त्रिऋषि सरोवर अर्थात अत्रि, पुलस्त्य तथा पुलह की साधना स्थली के समीप मल्लीताल वाले किनारे पर नयना देवी का भव्य मंदिर है। प्राचीन मंदिर तो पहाड़ के फूटने से दब गया, लेकिन उसी के पास स्थित है यह मंदिर।
3. मनसा देवी : मनसा देवी का मंदिर हरिद्वार में है। यहां शक्ति त्रिकोण हैं। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध स्थान है। दूसरे पर दक्षेश्वर स्थान वाली पार्वती, कहते हैं कि यहीं पर सती योग अग्नि में भस्म हुई थी। और तीसरे पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसा देवी विराजमान है।
4. कालीपीठ : भारतीय राज्य बंगाल के कोलकाता शहर के हावड़ा स्टेशन से पांच मील दूर भागीरथी के आदि स्रोत पर कालीघाट नामक स्थान पर कालीकाजी का मंदिर है। रामकृष्ण परमहंस इन्हीं की पूजा करते थे।
5. हरसिद्धि : भारत के मध्य प्रदेश राज्य के नगर उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के समीप क्षिप्रा नदी के तट पर हरसिद्धि माता के मंदिर है जो राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी है। उज्जैन में ही चमत्कारिक गढ़कालिका का मंदिर भी है।
6. पावागढ़ : गुजरात की ऊंची पहाड़ी पर बसा पावागढ़ मंदिर। यहां स्थित काली मां को महाकाली कहा जाता है। काली माता का यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। पावागढ़ में मां के वक्षस्थल गिरे थे। कहते हैं कि यहां माता का जाग्रत दरबार लगता है और उनकी कई सेविकाएं उनके लिए कार्य करती हैं। यहीं लोगों को दंड या दान मिलता है। यह मंदिर गुजरात की प्राचीन राजधानी चंपारण के पास स्थित है, जो वडोदरा शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।
7. अर्बुदा देवी : भारतीय राज्य राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित नीलगिरि की पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी पर बसे माउंट आबू पर्वत पर स्थित अर्बुदा देवी के मंदिर को 51 प्रधान शक्तिपीठों में गिना जाता है।
8. योगमाया : भारतीय राज्य कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से पंद्रह मील उत्तर में गंधर्वल स्थान पर प्रसिद्ध क्षीरसागर अर्थात योगमाया का मंदिर है। इसके चारो ओर जल है बीच में स्थित टापू सा है। यहाँ अनगिनत चिनार के पेड़ हैं।
9. गुवाहाटी : भारतीय राज्य असम में गौहाटी से दो मिल दूर पश्चिम में नीलगिरि पर्वत पर स्थित सिद्धि पीठ को कामाख्या या कामाक्षा पीठ कहते हैं। कालिका पुराण में इसका उल्लेख मिलता है।
10. विन्ध्याचल : कंस के हाथ से छुटकर जिन्होंने भविष्यवाणी की थी वहीं श्रीविन्ध्यवासिनी हैं। यहीं पर भगवती ने शुंभ और निशुंभ को मारा था। इस क्षेत्र में शक्ति त्रिकोण है। क्रमश: विन्ध्यवासिनी (महालक्ष्मी), कालीखोह की काली (महाकाली) तथा पर्वत पर की अष्टभुजा (महासरस्वती) विराजमान है।