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‘दशानन मंदिर' में होती है रावण की पूजा

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असत्य पर सत्य की विजय का संदेश देने वाले विजयादशमी पर्व पर जहां एक ओर लाखों की संख्या में लोग भगवान श्रीराम की पूजा करते हैं, वहीं देश में कुछ लोग रावण को अपना आराध्य मानकर शक्ति के रूप में उसकी पूजा करते हैं।

उत्तरप्रदेश के महानगरों में शुमार कानपुर शहर के शिवाला इलाके में एक मंदिर ऐसा है, जहां शक्ति के प्रतीक के रूप में लंकाधिराज रावण की पूजा अर्चना और आरती होती है तथा श्रध्दालु अपने लिए मन्नतें मांगते हैं। इस मंदिर का नाम ‘दशानन मंदिर’ है और इसका निर्माण वर्ष 1890 में हुआ था।

दशानन मंदिर के दरवाजे साल में केवल एक बार दशहरे के दिन ही सुबह नौ बजे खुलते हैं और मंदिर में लगी रावण की मूर्ति का पहले पूरी श्रध्दा और भक्ति के साथ श्रृंगार किया जाता है और उसके बाद रावण की आरती उतारी जाती है तथा शाम को दशहरे में रावण के पुतला दहन के बाद इस मंदिर के दरवाजे एक साल के लिए बंद कर दिए जाते है। यह मंदिर 24 अक्टूबर को सुबह खुलेगा और शाम को पूजा-पाठ के बाद बंद हो जाएगा।

रावण के इस मंदिर में होने वाले समस्त कार्यक्रमों के संयोजक केके तिवारी ने ने बताया कि शहर के शिवाला इलाके में कैलाश मंदिर परिसर में मौजूद विभिन्न मंदिरों में भगवान शिव मंदिर के पास ही लंका के राजा रावण का मंदिर है। यह मंदिर करीब 122 साल पुराना है और इसका निर्माण महाराज गुरू प्रसाद शुक्ल ने कराया था।

मंदिर के संयोजक तिवारी बताते हैं कि इस मंदिर को स्थापित करने के पीछे यह मान्यता थी कि रावण प्रकांड पंडित होने के साथ साथ भगवान शिव का परम भक्त था, इसलिए शक्ति के प्रहरी के रूप में यहां कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर बनाया गया था। (भाषा)

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