अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की 10वीं तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इस बार 8 अक्टूबर 2019 को विजया दशमी का शुभ पर्व है। इस दिन नवरात्रि खत्म हो जाएगी और हर जगह विजय पताका फहराई जाएगी। इस दिन दशहरे की विशेष प्रतिमाएं गेहूं के आटे से बनाई जाती हैं। इन प्रतिमाओं को विधिपूर्वक पूजा जाता है।
दशहरे के दिन का शुभ महत्व
-इस दिन नया कार्य शुरू करें तो वो हमेशा फायदे में रहता है।
- वाहन, आभूषण और अन्य सामान खरीदना शुभ रहता है, इससे घर में बरकत बढ़ती है।
-भगवान शिव की पूजा का कई गुना फल मिलता है।
-इस दिन विजय की प्रार्थना करके कार्य आगे बढ़ाया जाता है और सफलता मिलती ही है।
दशहरा पूजा सामग्री
- दशहरा प्रतिमा
-गऊ का गोबर, चूना
-तिलक, मौली, चावल और फूल
-नवरात्रि के वक्त उगे हुए जौ
-केले, मूली, ग्वारफली, गुड़
-खीर पूरी आपके बहीखाते
दशहरा पूजा विधि
-सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें।
-गेहूं या चूने से दशहरा प्रतिमा बनाएं।
गायके गोबर के 9 गोले बनाएं।
-गोबर से दो कटोरियां बनाएं। एक कटोरी में कुछ सिक्के रखें दूसरे में रोली, चावल, फल और जौ रखें।
-पानी, रोली, चावल , फूल और जौ के साथ पूजा शुरू करें।
-प्रतिमा को केले, मूली, ग्वारफली, गुड़ और चावल अर्पित करें।
-प्रतिमा को धूप और दीप दें।
-बहीखातों को भी फूल, जौ, रोली और चावल चढ़ाएं।
-अगर दिवाली के लिए नए खाते मंगवाने हैं तो इसी दिन मंगवाए जा सकते हैं।
-पूजा के बाद गोबर की कटोरी से सिक्के निकाल कर सुरक्षित जगह रख दें।
-ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
-रावण दहन के पश्चात् सोना पत्ती का वितरण करें और घर के बड़े और रिश्तेदारों को प्रणाम कर परस्पर मिलन आयोजन करें।