एक मंत्र मात्र में समाई है सम्पूर्ण रामायण...क्या आप जानते हैं कि दशहरे के शुभ दिन इस मंत्र को पढ़ने, सुनने और आदान प्रदान करने से ठीक वही पुण्य मिलता है जो पवित्र रामायण या रामचरित मानस के पाठ से मिलता है....
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	जानिए मंत्र 
	 
	आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
	वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।
 
									
										
								
																	
	बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
	पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
 
									
											
							                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	श्रीराम वनवास गए... वहां स्वर्ण मृग का का वध किया। वैदेही यानी सीताजी का रावण ने हरण कर लिया, रावण के हाथों जटायु ने अपने प्राण गंवा दिए। श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई। बालि का वध किया। समुद्र पार किया। लंकापुरी का दहन किया। इसके बाद रावण और कुंभकर्ण का वध किया। ये रामायण का सार है। इस मंत्र में पूरी रामायण के पाठ से मिलने वालीपुण्य शक्ति समाई है....