Dussehra 2023: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष दशमी को दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसी दिन माता दुर्गा कात्यायनी ने महिषासुर का वद दिया था। इसी के याद में यह उत्सव मनाया जाता है, परंतु आपको पता है कि श्रीराम ने रावण से युद्ध करने के पूर्व किस देवी की पूजा की थी?
आदिशक्ति की उपासना : वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम ने युद्ध में विजयी होने के लिए ऋष्यमूक पर्वत पर आश्विन प्रतिपदा से नवमी तक आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना की थी। इसी के साथ उन्होंदे देवी अपराजिता की पूजा भी की थी। इसके बाद भगवान श्रीराम इसी दिन किष्किंधा से लंका के लिए रवाना हुए थे।
अपराजिता की पूजा विधि:-
-इस पूजा के लिए घर से पूर्वोत्तर की दिशा में कोई पवित्र और शुभ स्थान को चिन्हित करें।
-यह स्थान किसी मंदिर, गार्डन आदि के आसपास भी हो सकता है।
-पूजन स्थान को स्वच्छ करें और चंदन के लेप के साथ अष्टदल चक्र (8 कमल की पंखुड़ियां) बनाएं।
-अपराजिता के नीले फूल या सफेद फूल के पौधे को पूजन में रखें।
-पुष्प और अक्षत के साथ देवी अपराजिता की पूजा के लिए संकल्प लें।
-अष्टदल चक्र के मध्य में 'अपराजिताय नम:' मंत्र के साथ मां देवी अपराजिता का आह्वान करें और मां जया को दाईं ओर क्रियाशक्त्यै नम: मंत्र के साथ आह्वान करें तथा बाईं ओर मां विजया का 'उमायै नम:' मंत्र के साथ आह्वान करें।
-इसके उपरांत 'अपराजिताय नम':, 'जयायै नम:' और 'विजयायै नम:' मंत्रों के साथ शोडषोपचार पूजा करें।
-अब प्रार्थना करें।
-विसर्जन मंत्र- अब निम्न मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें।
-'हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम।'